न्यूज डेस्क
झारखंड में विधानसभा चुनाव का आगाज हो चुका है। अभी तारीख की घोषणा भले ही नहीं हुई हो लेकिन सत्तारूढ़ बीजेपी और विपक्ष पूरी तैयारी के साथ चुनावी अखाड़े में उतरने को तैयार है। प्रदेश की बीजेपी सरकार दोबारा सत्ता में आने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहती।
मुख्यमंत्री रघुबर दास को विश्वास है कि वह अपने काम के बलबूते दोबारा सत्ता में आयेंगे, इसलिए वह अपने सरकार के काम काज को जनता के बीच ले जाने की तैयारी में हैं। इसके लिए वह पत्रकारों से मदद लेंगे।
झारखंड की बीजेपी सरकार ने राज्य की कल्याणकारी योजनाओं पर लेख लिखने वाले इच्छुक पत्रकारों से आवेदन मांगा है।
झारखंड सूचना एवं जनसंपर्क विभाग की ओर से 14 सितंबर को समाचार पत्र में विज्ञापन प्रकाशित किया गया, जिसमें राज्य की कल्याणकारी योजनाओं पर लेख लिखने वाले इच्छुक पत्रकारों से आवेदन मांगे गए।
इस योजना के तहत पत्रकारों की एक समिति के जरिए प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के 30 पत्रकारों का चुनाव किया जाएगा।
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार के कार्यक्रमों पर चार लेख लिखने वाले 30 चुनिंदा पत्रकारों को 15,000 रुपये दिए जाएंगे।
इस तरह इन 120 लेखों में से 25 लेखों को चुनकर बुकलेट का रूप दिया जाएगा। बुकलेट के लिए जिन 25 पत्रकारों के लेख चुने जाएंगे, उन सभी को अतिरिक्त 5,000 रुपये भी मिलेंगे।
वहीं विपक्षी दल इसकी आलोचना कर रहा है। विपक्षी दलों का कहना है कि पत्रकारों को लुभाने के लिए सरकार ने यह योजना शुरु की है।
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मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, चुनाव आयोग जल्द ही झारखंड सहित कई राज्यों में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर सकता है। झारखंड में विधानसभा चुनाव इस साल के अंत से पहले हो जायेगा।
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि रघुबर दास सरकार ने नैतिकता के सभी नियमों का उल्लंघन कर दिया है। वहीं विपक्षी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा का कहना है कि पत्रकारों को लेख लिखने के लिए पैसों की पेशकश की गई है। पार्टी ने मांग की है कि प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया को इस मामले में संज्ञान लेना चाहिए।
झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने ट्वीट कर कहा, ‘राज्य की सत्तारूढ़ भाजपा सरकार, इसके अधिकारियों और हमारे सम्मानीय मुख्यमंत्री रघुबर दास ने नैतिकता के सभी मानदंडों का उल्लंघन किया है। सरकार ने पत्रकारों को विकास के बारे में लिखने और इससे पैसे कमाने के लिए सार्वजनिक विज्ञापन दिया है। प्रेस काउंसिल और सूचना प्रसारण मंत्रालय को इस पर संज्ञान लेना चाहिए।’
The ruling @BJP4Jharkhand govt , it's officials & our hon'ble CM @dasraghubar have breached all norms of ethics & moraliy. Open advrt by Govt publicity wing to journalists in #Jharkhand to write on #Vikas & earn money as fees. #PressCouncil & @MIB_India should take cognizance . https://t.co/OmK8I2Io54 pic.twitter.com/o133zZmHmQ
— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) September 16, 2019
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यह पूछे जाने पर कि क्या यह विज्ञापन पेड न्यूज नहीं है? इस पर राज्य के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के उपनिदेशक अजय नाथ झा ने कहा, ‘यह पेड न्यूज नहीं है। सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के बारे में लिखने वाले पत्रकारों से आवेदन मांगे गए हैं। लेख योजनाओं के सफल होने या उसकी आलोचना पर आधारित होने चाहिए। हम हमारी परियोजनाओं के उचित एवं स्वतंत्र आकलन चाहिए।’
अजय नाथ झा ने बताया कि विभाग को बड़ी संख्या में पत्रकारों से आवेदन मिले हैं।
गौरतलब है कि मंत्रिपरिषद ने 11 सितंबर को अपनी आखिरी बैठक में मुख्यमंत्री पत्रकार जीवन बीमा योजना को मंजूरी दी थी। इस नई योजना के तहत झारखंड सरकार योजना से लाभ उठाने वाले मान्यता प्राप्त पत्रकारों की ओर से बीमा प्रीमियम का भुगतान करेंगे।
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