जुबिली न्यूज डेस्क
कोरोना महामारी के दस्तक के बाद से देश में काढ़ा पीने का चलन बढ़ गया है। कोरोना संक्रमण से बचने के लिए लोग खूब काढ़ा का सेवन कर रहे हैं।
काढ़ा को लेकर लोग भ्रमित हैं। एक ओर भारत सरकार का आयुष मंत्रालय कह रहा है कि कोरोना से बचने के लिए लोग गरम पानी और काढ़े का सेवन करें तो वहीं काढ़े के ज्यादा पीने पर डॉक्टरों ने चिंता जतायी है। डॉक्टरों का कहना है कि लंबे समय तक काढ़ा पीने से लीवर को नुकसान पहुंचा सकता है।
वहीं इन दावों को आयुष मंत्रालय ने मंगलवार को सिरे से खारिज कर दिया कि लंबे समय तक काढ़े का सेवन करने से लीवर को नुकसान पहुंचता है।
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मंत्रालय का कहना है कि ‘यह गलत धारणा’ है क्योंकि काढ़ा बनाने में उपयोग होने वाली सभी चीजें घरों में खाना पकाते समय इस्तेमाल की जाती हैं।
मालूम हो कोविड-19 के मद्देनजर आयुष मंत्रालय ने रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए काढ़े के सेवन का सुझाव दिया है। आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा कि दालचीनी, तुलसी और काली मिर्च का उपयोग काढ़ा बनाने के लिए किया जाता है और उनका श्वसन तंत्र पर अनुकूल प्रभाव होता है।
इसके अलावा मंत्रालय ने अन्य चीजों के साथ-साथ तुलसी, दालचीनी, कालीमिर्च, सोंठ (अदरक का पाऊडर) और किशमिश का उपयोग कर काढ़ा बनाने और दिन में एक-दो बार उसका सेवन करने की सलाह दी थी।
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कोटेचा ने कहा, ”ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है कि काढ़ा से लीवर को नुकसान पहुंचता है! यह गलत धारणा है क्योंकि काढ़े की सारी सामग्री का उपयोग घरों में भोजन पकाने में होता है।” साथ ही उन्होंने कहा कि कोविड-19 के खिलाफ यह कितना प्रभावी है, इसका पता लगाने के लिए अनुसंधान जारी है।
नया प्रोटोकॉल जारी
सरकार ने कोविड-19 के लिए नया प्रोटोकॉल भी जारी किया है। जिसमें कोरोना इन्फेक्शन से बचाव/इलाज के लिए अश्वगंधा और आयुष-64 के सेवन का सुझाव दिया गया है। ज्यादा रिस्क वाले लोगों के लिए अश्वगंधा, गुडूची घन वटी या च्यवनप्राश का सुझाव है।
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