जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी की आत्महत्या के बाद लखनऊ से लेकर अयोध्या तक शोक की लहर दौड़ गई है। दबंग और फैसला लेने के मामले में तेजतर्रार माने जाने वाले महंत नरेन्द्र गिरी आत्महत्या भी कर सकते हैं यह सोचना भी किसी के लिए संभव नहीं था। महंत ने अपने सुसाइड नोट में कई बातों का खुलासा किया है।
महंत नरेन्द्र गिरी का सुसाइड नोट यही बताता है कि वह पिछले काफी समय से तनाव में थे। नरेन्द्र गिरी का सारा तनाव अपने सम्मान को लेकर था।
न तो वह अपमानित जीवन जीना चाहते थे और न ही हर किसी को अपनी सफाई देते हुए घूमना चाहते थे लेकिन अब इसी सुसाइड नोट को लेकर निरंजनी अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद जी महाराज ने बुधवार को सवाल उठाया है। इसके साथ ही निरंजनी अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद जी महाराज ने दावा किया है जो सुसाइड नोट मौके से मिला है वो पूरी तरह से फर्जी है।
उन्होंने दावा किया, “नि:संदेह नरेंद्र गिरि जी महाराज कभी पत्र नहीं लिखते थे। यदि उनका लिखा हुआ किसी के पास कुछ है तो वह दिखाए। मुझसे अधिक उन्हें कोई नहीं जानताञ मैं 2003 से उनसे और इस मठ से जुड़ा हुआ था. हर परिस्थिति में मैंने उनका साथ दिया।
कैलाशानंद महाराज ने कहा कि उनके हस्ताक्षर में नाम के सारे शब्द अलग होते थे। वहीं जो सुसाइड नोट सामने आया है, उसमें बड़े टेक्निकल शब्द लिखे हुए हैं। कई ऐसे शब्द हैं जैसे आद्या तिवारी। ऐसा लग रहा है किसी विद्वान व्यक्ति ने यह लिखा है।
आखिर क्या है सुसाइट नोट में
मीडिया में उनका सुसाइट नोट तेजी से वायरल हो रहा है। उन्होंने लिखा है कि मैं महंत नरेंद्र गिरि आज आनंद गिरि के कारण बहुत विचलित हो गया।
आज हरिद्वार से सूचना मिली कि एक दो दिन में आनंदगिरी मोबाइल के माध्यम से किसी छोटी महिला या लडक़ी के साथ गलत काम करते हुए फोटो वायरल कर देगा। मैं महंत नरेंद्र गिरि बदनामी के डर से कहां-कहां सफाई देता रहूंगा। मैं जिस सम्मान से जी रहा हूं, तो बदनामी में कैसे जी पाऊंगा। इसलिए आत्महत्या कर रहा हूं।
इसके बाद अगर इस सुसाइट नोट के पेज नम्बर-2 पर गौर किया जाये तो उसमें उन्होंने लिखा है कि मैं आत्महत्या करने जा रहा हूं। मेरी मौत के जिम्मेदार आनंद जी, अद्या प्रसाद तिवारी, संदीप तिवारी पुत्र अद्या प्रसाद तिवारी होंगे।
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मेरा प्रयागराज के पुलिस प्रशासनिक अधिकारियों से अनुरोध है कि मेरी हत्या के जिम्मेदार उपरोक्त लोगों पर कार्रवाई की जाए। ताकि मेरी आत्मा को शांति मिल सके।
मंहत ने पेज 2 पर लिखा कि प्रिय बलवीर मठ मंदिर की व्यवस्था का प्रयास वैसे ही करना, जैसे मैंने किया है. आशुतोष गिरी, नितेश गिरि एवं मंदिर के सभी महात्मा बलवीर का सहयोग करना।
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सुसाइट नोट के एक अन्य पेज पर महंत नरेन्द्र गिरी ने लिखा है कि मैं नरेंद्र गिरी, वैसे तो, 13 सितंबर 2021 को आत्महत्या करने जा रहा था लेकिन हिम्मत नहीं कर पाया। सुसाइट नोट के हर पन्ने पर महंत नरेन्द्र गिरी हस्ताक्षर व डेट के साथ-साथ ऊं नमो: नारायण भी लिखा है।
महंत नरेन्द्र गिरी के शिष्य आनंद गिरी कई बार विवादों में आ चुके हैं। उन पर महिलाओं के साथ भी मारपीट का आरोप है। महंत नरेन्द्र गिरी ने अपने सुसाइड नोट में भी आनंद गिरी पर ही प्रताड़ित करने का आरोप लगा दिया है।