न्यूज डेस्क
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान क्या सच में चीन के ‘उइगर’ मुसलमानों को नहीं जानते। फिलहाल उनके बयान से तो यही लगता है कि वह नहीं जानते, लेकिन यह बात हजम नहीं होती। इमरान खुद को मुसलमानों के हिमायती बनते हैं और सारे इस्लामिक देशों को एक साथ आने की बात भी कहते हैं, तो फिर ऐसे कैसे हो सकता है कि चीन के ‘उइगर’ मुसलमानों के बारे में उन्हें जानकारी न हो।
दरअसल 14 सितंबर को अल-जज़ीरा को दिए साक्षात्कार में पाक प्रधानमंत्री इमरान खान से पत्रकार ने चीन में ‘उइगर’ मुसलमानों के साथ हो रहे व्यवहार को लेकर सवाल पूछा तो उन्होंने अपनी समस्याओं का बहाना बनाकर सवाल टाल गए। हालांकि उन्होंने यह कहा कि मैं इतना कह सकता हूं कि चीन हमारा सबसे अच्छा दोस्त है।
सबसे बड़ी विडंबना यह रही कि इमरान खान को चीन के ‘उइगर’ मुसलमानों के साथ क्या हो रहा है, इसकी इन्हें न तो कोई जानकारी है और न ही वह रखना चाहते हैं ऐसा उनके हावभाव से लगा, लेकिन भारतीय मुसलमानों को लेकर वह बहुत मुखर दिखे।
पत्रकार ने जब इमरान से पूछा कि ‘पाकिस्तान चीन के साथ अच्छे संबंध रखता है, क्या आपने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ कभी ‘उइगर’ मुस्लिमों के उत्पीडऩ के मुद्दे पर बात की है?’ इस पर पाक पीएम ने कहा, ‘नहीं, मैंने नहीं की है, क्योंकि इसके बारे में मुझे ज्यादा नहीं पता है। दरअसल हम अभी अपनी आंतरिक समस्याओं से जूझ रहे हैं, इस मुद्दे के बारे में मुझे सच में ज्यादा जानकारी नहीं है। चूंकि हम एक साल से सत्ता में हैं। हम अर्थव्यवस्था को सुधारने में लगे हैं और अब कश्मीर का मुद्दा है। हम कई समस्याओं से घिरे हुए हैं, लेकिन मैं चीन के लिए एक बात कहूंगा, हमारे लिए चीन सबसे अच्छा दोस्त है।’
पत्रकार ने अपने दूसरे सवाल में पूछा कि ‘उइगर’ मुस्लिमों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ कुछ नहीं बोलने के चलते उनकी काफी आलोचना हो रही है। इस पर खान ने कहा कि इस समय, मेरी जिम्मेदारी पाकिस्तान के लोगों की है। मेरे पास 220 मिलियन पाकिस्तानी हैं और वे मेरी जिम्मेदारी हैं। बेेहतर प्रयास कर अपने देशवासियों की मदद करना है।
मालूम हो कि पूर्व क्रिकेटर से पाकिस्तान के पीएम बने इमरान ने इससे पहले फाइनैंशियल टाइम्स से कहा था कि वो इस बारे में बहुत नहीं जानते हैं। दूसरी तरफ इमरान खान म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ अत्याचार की निंदा कर चुके हैं।
इमरान के इस बयान की निंदा उनके ही देश के नागरिक भी कर रहे हैं। पाकिस्तान सिर्फ चीन से अपनी दोस्ती निभाने के चक्कर में कुछ नहीं बोल रहा, जबकि सच क्या है, पूरी दुनिया को पता है, इमरान खान को भी।
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पाकिस्तान और चीन की दोस्ती जगजाहिर है। चीन पाकिस्तान में चाइना पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर के तहत 60 अरब डॉलर का निवेश कर रहा है। वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान पर चीन के अरबों डॉलर के कर्ज भी हैं। तीसरी बात ये कि पाकिस्तान कश्मीर विवाद में चीन को भारत के खिलाफ एक मजबूत पार्टनर के तौर पर देखता है। ऐसे में पाकिस्तान चीन में वीगर मुसलमानों के खिलाफ चुप रहना ही ठीक समझता है।
गौरतलब है कि चीन ने अपने पश्चिमी प्रांत शिनजियांग में ‘उइगर’ मुसलमानों के लिए नजरबंदी बस्ती बना रखी है। चीन ने पिछले कुछ साल में ऐसी ही तमाम जेल सरीखी इमारतें शिनजियांग सूबे में बना डाली हैं, लेकिन चीन ने इस बात से लगातार इनकार किया है कि उसने मुसलमानों को बिना मुकदमा चलाए कैद करके रखा है।
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दुनिया भर में उठ रहे आलोचना के सुरों को दबाने और उनका मुकाबला करने के लिए चीन ने बड़े पैमाने पर प्रचार अभियान छेड़ दिया है। चीन का कहना है कि इन केंद्रों का प्रमुख मकसद उग्रवाद का मुकाबला करना है।
दुनिया भर के मुस्लिम बहुल देश इंडोनेशिया, मलेशिया, सऊदी और पाकिस्तान पूरे मामले पर खामोशी का रूख अख्तियार किए हुए हैं। वहीं दूसरी तरफ ये देश रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ म्यांमार में हुईं हिंसा की निंदा करने में मुखर रहे हैं। दरअसल मुस्लिम बहुत देशों की ‘उइगर’ मुस्लिमों पर खामोशी का कारण चीन की आर्थिक शक्ति और पलटवार का डर है।
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