जुबिली न्यूज डेस्क
उत्तर प्रदेश के चुनावी नतीजे आ चुके हैं और भारतीय जनता पार्टी दोबारा प्रदेश में सरकार बनाने जा रही है। इस बार भाजपा के खाते में 255 सीटें गई हैं तो वहीं समाजवादी पार्टी को यूपी में 111 सीटों पर जीत मिली है।
वहीं इस बार के चुनाव में राष्ट्रीय लोकदल भी अपना अस्तित्व बचाने में कामयाब रहा है। आरएलडी ने 33 सीटों पर चुनाव लड़ा था और उसे 8 सीटों पर कामयाबी मिली है।
इस चुनाव में राष्ट्रीय लोकदल और समाजवादी पार्टी में गठबंधन था। जयंत सिंह के आरएलडी का प्रभाव जाट बहुल इलाके पश्चिम उत्तर प्रदेश में है और उम्मीद की जा रही थी कि किसान आंदोलन के कारण आरएलडी को अच्छी खासी कामयाबी मिल सकती है।
आरएलडी का वोट शेयर कांग्रेस से भी अधिक है। जहां कांग्रेस का वोट शेयर 2.33 फीसदी हैं वहीं आरएलडी का वोट शेयर 2.85 फीसदी है।
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समाजवादी पार्टी और आरएलडी गठबंधन को मुजफ्फरनगर की कुल 6 सीटों में से चार पर जीत मिली है। मुजफ्फरनगर किसान आंदोलन का केंद्र रहा था।
चार में से तीन सीट पर आरएलडी को जीत मिली है। शामली में इस गठबंधन ने सभी तीन सीटें जीती हैं। वहीं बागपत की कुल 3 सीटों में एक पर ही जीत मिली है।
चुनाव से पहले भाजपा ने जयंत सिंह पर डोरे डालने की कोशिश की थी।
बागपत में सिवाल खास सीट पर ग़ुलाम मोहम्मद की जीत हुई है और कहा जा रहा है कि जाटों ने मुस्लिम उम्मीदवार को भी वोट किया है। लेकिन ये भी कहा जा रहा है कि सपा और आरएलडी के आक्रामक चुनाव प्रचार के कारण जो बीएसपी को वोट करते थे वे बीजेपी के साथ आ गए।
वहीं आरएलडी को वैचारिक सलाह देने वाले सोमपाल शास्त्री ने अंग्रेजी अखबार द हिन्दू से कहा है, ”हमारे लिए यह चुनावी नतीजा निराशाजनक है। हम 20 से अधिक सीटों पर जीत की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन जयंत पश्चिम उत्तर प्रदेश में एक अहम हस्ती के तौर पर उभरे हैं। ”
उन्होंने कहा कि जाट-मुस्लिमों का साथ काम किया है। आरएलडी ने सत्ताधारी पार्टी के कई अहम चेहरों को हराया है। योगी सरकार में गन्ना मंत्री रहे सुरेश राणा को थाना भवन से आरएलडी के मुस्लिम उम्मीदवार असरफ अली ने हरा दिया।
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बीजेपी के जाट चेहरे संजीव बालियान के विश्वासपात्र माने जाने वाले फायरब्रैंड विधायक उमेश मलिक को भी बुधना में हार का सामना करना पड़ा है। इसके अलावा मेरठ की सरधाना सीट पर भी आरएलडी की मदद से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार अतुल प्रधान ने हिन्दुत्व के मुखर चेहरा माने जाने वाले संगीत सोम को हरा दिया।
भारतीय किसान यूनियन के मीडिया प्रभारी धर्मेंद्र मलिक ने कहा है कि किसान आंदोलन का असर पश्चिम उत्तर प्रदेश में दिखा है लेकिन दलित वोट बीजेपी के पीछे लामबंद हो गया।