जुबिली न्यूज डेस्क
छत्तीसगढ़ में जारी सियासी संकट के बीच राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल शुक्रवार को दिल्ली पहुंचे। पिछले चार दिनों में भूपेश बघेल दूसरी बार राहुल गांधी से मिले हैं। इतना ही नहीं उन्होंने राहुल से एक बार फिर मिलने का समय मांगा है।
ऐसा माना जा रहा है कि बघेल राहुल गांधी को मनाने में कामयाब हो गए है और वह बतौर मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल जारी रखेंगे।
राहुल से मुलाकात के बाद बघेल ने दावा किया कि उन्होंने राहुल को बस्तर आने का निमंत्रण दिया है और उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया है।
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कांग्रेस की छत्तीसगढ़ इकाई में चल रही रस्साकशी के बीच सीएम बघेल के कई समर्थक विधायक दिल्ली में जमा हो गये हैं जिसे शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा जा रहा है।
सूत्रों के मुताबिक दिल्ली में बघेल के करीब 30 समर्थक विधायक मौजूद हैं और राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की चर्चा के मद्देनजर वे मुख्यमंत्री का समर्थन करने पहुंचे हैं।
राहुल और बघेल से मुलाकात के पहले करीब 20 विधायकों ने कांग्रेस के छत्तीसगढ़ प्रभारी पीएल पुनिया से मुलाकात की थी। माना जा रहा है कि इन विधायकों ने नेतृत्व परिवर्तन नहीं करने और बघेल को ही मुख्यमंत्री बनाये रखने की पैरवी की है।
सीएम भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव के बीच चल चल रही तनातनी की स्थिति को देखते हुए विधायकों का दिल्ली पहुंचने को लेकर यह चर्चा गर्म है कि सीएम का कांग्रेस आलाकमान के समक्ष शक्ति प्रदर्शन करने के प्रयास है, हालांकि बघेल के करीबियों ने इससे इनकार किया है।
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उनका कहना है कि मुख्यमंत्री का सोनिया गांधी और राहुल गांधी के नेतृत्व में पूरा विश्वास है तथा शक्ति प्रदर्शन जैसी की कोई बात नहीं है।
भूपेश बघेल के समर्थक विधायक देवेंद्र यादव ने कहा, ‘मुख्यमंत्री बघेल के नेतृत्व में हम छत्तीसगढ की जनता की सेवा कर रहे हैं। हम आलाकमान से बात करेंगे। सभी विधायक एकजुट हैं।’
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पिछले दिनों बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की थी।
राहुल और कुछ अन्य वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात के बाद बुधवार को रायपुर लौटने पर बघेल ने कहा था कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी के आदेश से वह इस पद पर आसीन हुए हैं और उनके कहने पर तत्काल इस पद को त्याग देंगे।
साथ ही, उन्होंने यह भी कहा था कि सीएम पद के ढाई—ढाई वर्ष के बंटवारे का राग अलाप रहे लोग प्रदेश में राजनीतिक अस्थिरता लाने की कोशिश कर रहे हैं, जिसमें वह कभी सफल नहीं होंगे।
बताते चलें कि छत्तीसगढ़ में दिसंबर, 2018 में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव के बीच रिश्ते सहज नहीं रहे। सिंहदेव के समर्थकों का कहना है कि ढाई-ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री को लेकर सहमति बनी थी और ऐसे में अब सिंहदेव को मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए।
पिछले दिनों बघेल गुट और सिंहदेव गुट के बीच मतभेद उस समय और बढ़ गये जब कांग्रेस विधायक बृहस्पति सिंह ने स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव पर आरोप लगाया था कि वह उनकी हत्या करवाकर सीएम बनना चाहते हैं। बृहस्पति सिंह को मुख्यमंत्री बघेल का करीबी माना जाता है।