जुबिली न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली। बैंकिग इंडस्ट्री की हालत इस समय काफी खराब है, जिसको सुधारने की सरकार कोशिश कर रही है। बैंक के हालातों को सुधारने के लिए ही सरकार ने बैकों का मर्जर किया था। अब एक बार फिर सरकार बैंकों को लेकर एक बड़ा फैसला लेने जा रही है। दरअसल सरकार आधे से ज्यादा सरकारी बैंकों का निजीकरण करने की योजना बना रही हैं।
सरकार योजना के पहले चरण में बैंक ऑफ इंडिया, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, यूको बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और पंजाब एंड सिंध बैंक में मैजोरिटी स्टेक बेचेगी। सरकार देश में सिर्फ 5 सरकारी बैंक को रखना चाहती हैं।
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अभी देश में 12 सरकारी बैंक हैं और इस संख्या को 4 से 5 तक सीमित करने की मंशा है। बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पा रहे सरकारी बैंकों में हिस्सेदारी बेचने के लिए नए निजीकरण प्रस्ताव पर काम चल रहा है। ताकि बैंकों के हालातों को सुधारा जा सकें।
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एक अधिकारी के मुताबिक इस योजना को एक नए निजीकरण प्रस्ताव में रखा जाएगा, जिसे सरकार अभी तैयार कर रही है। फिर इसे कैबिनेट के सामने मंजूरी के लिए पेश किया जाएगा।
सरकार की निजीकरण योजना अगले साल तक अमल में लाई जा सकती है। महामारी की वजह से चालू वित्तवर्ष में बैड लोन का दबाव दोगुना तक बढ़ने का अनुमान है। लिहाजा इस प्रक्रिया की शुरुआत अगले वित्तवर्ष में की जाएगी।
वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान फंसे लोन की तादाद बढ़ सकती है। ऐसे में चालू वित्त वर्ष में विनिवेश होना संभव नहीं है। समय हालात विनिवेश से बड़ा फायदा मिलने के पक्ष में नहीं हैं।
कोरोना महामारी से अर्थव्यवस्था पर काफी दबाव है और सरकार के पास फंड की कमी हो गई है। ऐसे में नॉन कोर कंपनियों और क्षेत्रों का निजीकरण कर बड़ी पूंजी जुटाई जा सकती है। हालांकि आपको बता दें कि लगातार बैंक संगठन निजीकरण का विरोध कर रहे है और सरकार बैंक कर्मचारियों का शोषण करने से पीछे नहीं हट रही है।
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