जुबिली न्यूज डेस्क
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव परिणामों के रुझानों में भारतीय जनता पार्टी ने बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया है।
अब तक की मतगणना के बाद यूपी में भाजपा 260 से अधिक सीटों पर आगे चल रही है। सपा ने भी रुझानों में सौ का आंकड़ा छू लिया है। वहीं, बसपा पांच तो कांग्रेस चार सीटों पर आगे चल रही है।
403 सीटों वाली उत्तर प्रदेश विधानसभा में बहुमत के लिए 202 सीटों पर जीत जरूरी है। यहां ये बताते चलें कि ये रुझान हैं,अंतिम नतीजे नहीं हैं।
अगर रुझानों के अनुसार चलें तो भाजपा प्रदेश में सत्ता के जादुई आंकड़े को पार कर चुकी है। मतगणना शुरू होने से पहले तक ऐसी भी चर्चा थी बीजेपी की सीटें कम हो सकती हैं, लेकिन जैसे रुझान आ रहे हैं, उससे तस्वीर कुछ और ही नजर आ रही है।
यूपी में भाजपा अपनी जीत को लेकर शुरु से आश्वस्त रही है। तीन सौ पार का नारा देने वाली भाजपा उस अंक को भले ही न छू पाये पर यह तो तय है कि वह दोबारा यूपी की सत्ता में वापसी करने जा रही है।
भाजपा की जीत के साथ ही अब तमाम सवाल भी उठ रहे हैं कि भाजपा के विरोध में तमाम मुद्दे होने के बाद भी आखिर कैसे भाजपा इतनी बड़ी जीत की ओर बढ़ रही है। तो चलिए जानते हैं कि इसके क्या कारण है।
1. मोदी शाह की डायरेक्ट ट्रांसफर बेनिफिट स्कीम्स से पिछड़ी, दलित जातियों में एक अटूट भरोसा बना लिया है।
2. भाजपा की इलेक्शन मशीन 365x24x7 चलती है जिससे उसे जमीन की नब्ज पता है।
3. विपक्ष जमीनी हकीकत और जनता की नब्ज से दूर है।
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4. विपक्ष खासकर सपा केवल इस उम्मीद में रही कि जनता भाजपा से नाराज है अत: उसे समर्थन देगी । कुछ जगह ऐसा हुआ भी पर वो अपने अतीत की छवि को तो?ने की बजाय जिस तरह विवादित चेहरों को साथ लेती गयी उससे लोग निराश होकर फिर भाजपा के पास लौट गए।
5. जमीन से कटे विश्लेषणों और फीडबैक ( जिसमे ज्यादातर परम्परागत भाजपा/मोदी/योगी विरोधी पत्रकार या विश्लेषक थे) ने स्पा को नुकसान तो पहुंचाया ही, भाजपाई वोटरों को और प्रतिबद्ध कर दिया।
6. जब लड़ाई सीधी और दो पक्षों में होती है तो वोट व्यक्तित्व और छवि पर प?ता है। इसमें योगी मोदी इक्कीस साबित हुए।
7. कोरोना के दौरान से आज तक नियमित राशन और किसान सम्मान निधि का फायदा भाजपा को मिला ही।
8. सपा को सबसे ज्यादा उम्मीद जिस मध्य वर्ग से थी वह कानून व्यवस्था के मुद्दे पर भाजपा के साथ रहा।
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