न्यूज डेस्क
राजनीति में कुछ भी संभव है। सत्ता की लालच में दुुश्मन भी दोस्त बन जाते हैं और दोस्त को दुश्मन बनते देर नहीं लगती। ऐसा ही कुछ हरियाणा की राजनीति में हुआ है। हरियाणा की राजनीति में किंग मेकर बनकर उभरी जननायक जनता पार्टी (जेजेपी), जो चुनाव में बीजेपी की विरोधी पार्टी थी, उसी के बदौलत 10 सीटे जीतने में कामयाब हुई, आज उसी बीजेपी से गलबहिया कर सत्तासीन होने जा रही है। जाहिर है ह सब संभव हुआ है केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह की वजह से।
गौरतलब है कि हरियाणा में 2 अक्टूबर को वोटिंग हुई और 24 अक्टूबर को नतीजे आए। चुनावी नतीजे चौकाने वाले आए। कोई भी पार्टी बहुमत के आंकड़े को छू नहीं पाई। कुछ महीने पहले बनी जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) किंगमेकर की भूमिका में नजर आने लगी। तभी सवाल उठने लगा था कि अब हरियाणा में बीजेपी गठबंधन कर सरकार बनाएगी या कांग्रेस।
75 प्लस सीट जीतने का दावा करने वाली बीजेपी को इस चुनाव में 40 सीटें मिली। बीजेपी बहुमत से 6 कदम दूर रही, तो वहीं पहले ही हार मान चुकी कांग्रेस ने भूपिंदर सिंह हुड्डा के नेतृत्व में 31 सीटें जीतकर राज्य में अपनी स्थिति को सुधारा। तब जातीय समीकरण को लेकर लगभग ये माना जा रहा था कि किंगमेकर पार्टी जेजेपी किसी भी सूरत में बीजेपी को समर्थन नहीं देगी, क्योंकि जेजेपी जाटों की पार्टी मानी जाती है, जबकि बीजेपी गैरजाट राजनीति करती है।
सियासी गलियारों में ऐसी चर्चा थी कि हुड्डा जेजेपी और कुछ निर्दलीय विधायकों का समर्थन लेकर हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बना सकते हैं। इस तरह कांग्रेस के लिए सब ठीक ही था, लेकिन बाजी मार गए अमित शाह।
इस बीच चुनावी चाणक्य और कुशल रणनीतिकार कहे जाने वाले बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह रेस्ट मोड में कहां बैठने वाले थे। चुनावी नतीजों के बीच बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने जेजेपी प्रमुख दुष्यंत चौटाला से संपर्क साधा। हालांकि, तब भूपिंदर सिंह हुड्डा ने भी सभी पार्टियों को एकजुट होकर सरकार बनाने का ऑफर दिया। साथ ही ये भी खबर आई कि हुड्डा की जेजेपी प्रमुख दुष्यंत चौटाला से दो दिन पहले से बातचीत चल रही है। इसके बाद लगने लगा कि हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बन सकती है। तब बीजेपी ने हरियाणा में सबसे बड़ी पार्टी होने के साथ सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया।
इसके बाद सवाल था कि जेजेपी, बीजेपी के साथ जाएगी नहीं तो बीजेपी के खेमे में कौन-कौन से निर्दलीय उम्मीदवार होंगे। इधर चुनाव नतीजे में कांग्रेस अपनी मजबूत स्थिति को लेकर गदगद थी तो वहीं चुनाव नतीजे के बाद से ही बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह एक्शन मोड में नजर आए। नतीजे में स्पष्ट बहुमत नहीं मिला तो अमित शाह ने अपना कार्यक्रम रद्द कर दिया और हरियाणा में सरकार बनाने को लेकर समीकरण बैठाने में जुट गए। चुनावी नतीजों के बाद देर रात अमित शाह के आवास पर बैठक हुई और कई निर्दलीय उम्मीदवारों ने बीजेपी के साथ जाने के लिए हामी भी भर दी।
25 अक्टूबर को चौंकाते हुए अमित शाह आखिरकार जेजेपी को अपने पाले में ले आए और फिर ये तस्वीर साफ हो गई कि हरियाणा में बीजेपी और जेजेपी के बीच गठबंधन की सरकार बनेगी। ऐसे में एक बार फिर अमित शाह बाजी मार ले गए और तब तक कांग्रेस इसी गुमान में थी वो हरियाणा में सरकार बना लेगी।
25 अक्टूबर को एक्शन मोड में रहते हुए ही बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के आवास पर पार्टी और जेजेपी के बीच सरकार के गठन को लेकर चर्चा हुई। चर्चा के बाद अमित शाह ने रात 9.20 बजे प्रेस कॉन्फ्रेस करते हुए ऐलान किया कि राज्य में बीजेपी और जेजेपी के बीच गठबंधन की सरकार बनेगी और जेजेपी को उपमुख्यमंत्री का पद दिया जाएगा। इस तरह अमित शाह ने 24 घंटे के अंदर ही बहुमत का आंकड़ा जुटा लिया और कांग्रेस देखती रही।
बता दें कि हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों में से 40 बीजेपी ने, 31 कांग्रेस ने, 10 जेजेपी ने और 9 सीट निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है।