जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के छह रिटायर्ड जजों ने भारत के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर उत्तर प्रदेश सरकार के बुल्डोजर एक्शन पर सवाल उठाये हैं. पैगम्बर हजरत मोहम्मद साहब पर की गई आपत्तिजनक टिप्पड़ी के बाद देश के कई शहरों में हुए विरोध प्रदर्शन के बाद बड़े पैमाने पर लोगों की गिरफ्तारी और घरों को बुल्डोज़र से गिरा दिए जाने को गैरकानूनी और नियम विरुद्ध बताते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश से संज्ञान लेने को कहा गया है.
भारत के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखने वालों में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस वी. गोपाला गौड़ा, जस्टिस ए.के.गांगुली और जस्टिस बी.सुदर्शन के अलावा दिल्ली हाईकोर्ट के रिटायर्ड चीफ जस्टिस ए.पी.शाह, कर्नाटक हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस मोहम्मद अनवर, मद्रास हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस के. चंद्रू और सीनियर वकील प्रशांत भूषण, शांति भूषण, इन्दिरा जयसिंह, आनंद ग्रोवर और चन्दर उदय सिंह शामिल हैं.
पत्र में कहा गया है कि प्रदर्शनकारियों का पक्ष सुने बगैर उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा सकती. पत्र में कहा गया है शांतिपूर्वक प्रदर्शन का तो हक़ होता है लेकिन यहाँ तो प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ हिंसक प्रशासनिक कार्रवाई हो रही है. ऐसे अधिकारियों को खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रोत्साहित कर रहे हैं.
पत्र में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश में प्रदर्शन के आरोप में 300 से ज्यादा लोग गिरफ्तार किये गए हैं. उनके खिलाफ मुकदमे दर्ज हुए हैं. कई ऐसे वीडियो सामने आये हैं जिसमें पुलिस कस्टडी में नौजवानों को पुलिस बेरहमी से पीट रही है. अल्पसंख्यक प्रदर्शनकारियों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा जा रहा है. कानून के राज में संविधान और मौलिक अधिकारों का मज़ाक बनाया जाना स्वीकार्य नहीं है.
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