न्यूज डेस्क
पंजाब एंड महाराष्ट्र कॉपरेटिव (पीएमसी) बैंक के ग्राहक हलकान है। पीएमसी ग्राहक अब सड़क पर उतर गए हैं। आज मुंबई में नरीमन प्वाइंट पर स्थित भाजपा मुख्यालय के बाहर ग्राहकों ने विरोध-प्रदर्शन किया। उसी दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पहुंची।
भाजपा कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत में निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार का इस मामले से सीधा कोई लेना-देना नहीं है। इस पूरे मामले को आरबीआई देख रहा है। कॉरेपोरेटिव बैंक को आरबीआई रेग्युलेट करती है। मेरी बैंक खाताधारकों से बात हुई है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस मामले से वित्त मंत्रालय का कोई लेना-देना नहीं है। मैंने अपने मंत्रालय के सचिवों को ग्रामीण विकास मंत्रालय और शहरी विकास मंत्रालय के साथ काम करने के लिए कहा है ताकि पता लगाया जा सके कि क्या हो रहा है।
FM: Finance Ministry may have nothing to do with it (PMC bank matter) directly because RBI is the regulator. But from my side, I've asked the secretaries of my ministry to work with Rural Development Ministry & Urban Development Ministry to study in detail as to what is happening pic.twitter.com/DyKhXJfiqk
— ANI (@ANI) October 10, 2019
गौरतलब है कि पीएमसी ग्राहकों ने बुधवार को भी दिल्ली में अदालत के बाहर विरोध प्रदर्शन करते हुए दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की थी। वहीं, बैंक के पूर्व अध्यक्ष और एचडीआईएल के दो निदेशकों की पुलिस हिरासत को यहां की एक अदालत ने बुधवार को 14 अक्टूबर तक के लिए बढ़ा दिया। यह मामला 4,355 करोड़ रुपये के घोटाले का है।
दरअसल ग्राहक अपने बैंक से धन नहीं निकाल पा रहे हैं। बैंक की स्थिति को देखते हुए कई तरह के प्रतिबंध लगे हुए हैं। विरोध-प्रदर्शन करने वाले ग्राहक ‘ओनली जेल, नो बेल (सिर्फ जेल, जमानत नहीं) के नारे लगा रहे थे। उनमें से कइयों के हाथों में तख्तियां भी थी। एक तख्ती पर लिखे नारे में आरबीआई को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया गया था।
पीएमसी बैंक फिलहाल रिजर्व बैंक द्वारा नियुक्त प्रशासक के अंतर्गत काम कर रहा है। बैंक के पूर्व प्रबंधकों की पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा जांच कर रही है। पीएमसी 11,600 करोड़ रुपये से अधिक जमा के साथ देश के शीर्ष 10 सहकारी बैंकों में से एक है।
बैंक के कामकाज में अनियमितताएं और रीयल एस्टेट कंपनी एचडीआईएल को दिये गये कर्ज के बारे में सही जानकारी नहीं देने को लेकर उस पर नियामकीय पाबंदी लगाई गयी है। बैंक ने एचडीआईएल को अपने कुल कर्ज 8,880 करोड़ रुपये में से 6,500 करोड़ रुपये का ऋ ण दिया था।
यह उसके कुल कर्ज का करीब 73 प्रतिशत है। पूरा कर्ज पिछले दो-तीन साल से एनपीए (गैर-निष्पादित परिसंपत्ति) बनी हुई है। बैंक पर लगायी गयी पाबंदियों में कर्ज देना और नया जमा स्वीकार करने पर प्रतिबंध शामिल हैं। साथ ही बैंक प्रबंधन को हटाकर उसकी जगह आरबीआई के पूर्व अधिकारी को बैंक का प्रशासक बनाया गया।
वहीं विरोध कर रहे कृष्णा नाम के जमाकर्ता ने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि वह क्या कर रहे हैं। मुझे इस बात की परवाह नहीं है कि वह क्या करेंगे। मुझे मेरा पैसा वापस चाहिए। मैंने बैंक में जो भी पैसा जमा कराया है उसे मैं दोबारा कभी नहीं कमा पाउंगा।’
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