जुबिली न्यूज़ डेस्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के बहुचर्चित हाथरस कांड में शासन द्वारा गठित एसआईटी टीम ने अपनी जांच रिपोर्ट यूपी सरकार को सौंप दी है। जानकारी के अनुसार गृह सचिव भगवान स्वरूप द्वारा सरकार को सौंपी रिपोर्ट में कई अहम बिंदुओं का जिक्र किया गया है।
रिपोर्ट में पुलिस और अफसरों की भूमिका पर सवाल उठाए गए हैं। बता दें कि हाथरस कांड के बाद योगी सरकार ने गृह सचिव भगवान स्वरूप की अध्यक्षता में एसआईटी का गठन किया था। तीन सदस्यी एसआईटी में डीआईजी चंद्रप्रकाश और पीएसी आगरा की सेनानायक पूनम शामिल थी।
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एसआईटी ने घटना के बाद पुलिस की कार्रवाई और जिले में उपजे हालात की छानबीन की है। शुरू में हफ्ते भर में एसआईटी को जांच रिपोर्ट शासन को देनी थी, लेकिन इसके बाद कई बार तारीखें बढ़ती गईं। सोमवार को एसआईटी के गृह सचिव भगवान स्वरूप ने शासन को रिपोर्ट सौंप दी है।
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वहीं दूसरी तरफ हाथरस कांड की सुनवाई कर रही इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने मामले में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है। सरकार द्वारा डीएम प्रवीण कुमार लक्षकार के खिलाफ कोई कार्रवाई न किए जाने पर चिंता जाहिर की है।
अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 25 नवंबर को नियत की है। साथ ही सीबीआई से जांच की स्टेटस रिपोर्ट पेश करने को भी कहा है। उधर राज्य सरकार ने अपने वकील के माध्यम से कोर्ट को भरोसा दिलाया कि वो डीएम के मुद्दे पर 25 नवंबर तक कोई फैसला लेगी।
क्या है पूरा मामला
उत्तर प्रदेश के हाथरस में 14 सितंबर को एक दलित युवती से गैंगरेप कर मारने की कोशिश की गई थी, जिसमें चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इलाज के दौरान 29 सितंबर को युवती ने दम तोड़ दिया था, जिसके बाद जिला प्रशासन ने परिजनों की अनुमति लिए बगैर रात के अंधेरे में जबरन उसका अंतिम संस्कार किया।
इस दौरान स्थानीय प्रशासन पर सवाल खड़े हुए थे और लापरवाही के आरोप में जिले के एसपी, सीओ सहित अन्य जिम्मेदार पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया था। इस पर काफी राजनीतिक बवाल हुआ था, जिसके बाद यूपी सरकार ने पूरे केस की जांच के लिए एसआईटी बनाई थी।