न्यूज डेस्क
कर्नाटक में कुमारस्वामी सरकार को गिराकर सत्ता हासिल करने और गोवा में विपक्ष के विधायकों के अपनी पार्टी में मिलाने के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अब सिक्किम में बड़ी सियासी सर्जिकल स्ट्राइक की है। दरअसल सिक्किम की प्रमुख पार्टी सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एसडीएफ) के 10 विधायक मंगलवार को राजधानी नई दिल्ली में बीजेपी में शामिल हो गए।
पूर्व सीएम पवन कुमार चामलिंग सहित 5 विधायकों को छोड़कर शेष सभी विधायक बीजेपी में शामिल हो गए। इस के साथ सिक्किम में अभी तक खाता नहीं खोल सकी और चुनाव के दौरान सिर्फ 1.62 फीसद वोट पाने वाली बीजेपी के पाले में 10 विधायक हो गए।
इनमें दोरजी सेरिंग पांच बार विधायक रहे, उकेन ग्याल पूर्व मंत्री रहे, नरेंद्र कुमार सुंगा तीन बार के विधायक रहे, डीआर थापा दो बार विधायक रहे, करमा सोरिंग लेप्चा दो बार के विधायक रहे, केबी रॉय विधायक, टीटी भूटिया विधायक, परवंती तमांग विधायक, पिंटो नामग्याल विधायक, लेप्चा राजकुमारी थापा विधायक शामिल हैं।
विधानसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत सकी
बता दें कि सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट ने पूर्वोत्तर के प्रमुख प्रदेश सिक्किम पर 25 सालों तक शासन किया। बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष जे. पी. नड्डा और महासचिव राम माधव की मौजूदगी में मंगलवार को पार्टी के संस्थापक तथा पांच बार के मुख्यमंत्री चामलिंग सहित 5 अन्य विधायकों को छोड़ बाकी सभी विधायक बीजेपी से जुड़ गए। पार्टी में अभी कुल 15 विधायक हैं। बीजेपी सिक्किम विधानसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत सकी थी, लेकिन अब बीजेपी के वहां 10 विधायक हो गए हैं।
गौरतलब है कि 1993 में पवन चामलिंग ने एसडीएफ का गठन किया था। पार्टी ने उसके बाद से हुए सभी पांच विधानसभा चुनावों में जीत दर्ज की। पार्टी ने 1994, 1999, 2004, 2009, 2014 के विधानसभा चुनावों में पूर्ण बहुमत से सरकार बनाई थी। हालांकि इस साल हुए चुनावों में एसडीएफ को हार का सामना करना पड़ा।
क्षेत्रीय दलों पर राज्य की जनता का विश्वास लगातार बना रहा है। 1994 में चामलिंग की पार्टी एसडीएफ 19 सीटों पर विजयी रही। वहीं, नर बहादुर भंडारी के नेतृत्व वाली सिक्किम संग्राम परिषद (एसएसपी) 10 सीटों के साथ दूसरे नंबर पर रही। वर्ष 1999 विधानसभा चुनाव में भी क्षेत्रीय दलों का दबदबा रहा।
चामलिंग की पार्टी 24 सीटों के साथ सत्ता में आई, जबकि एसएसपी मुख्य विपक्षी दल रही। फिर 2004 में चामलिंग की एसडीएफ ने सभी 32 सीटों पर जीत हासिल कर विपक्ष को खत्म कर दिया। उनकी पार्टी 2014 में पांचवीं बार जीतकर सत्ता में आई। उसे 22 सीटें मिली थीं।
चुनाव में किसको कितनी सीटें
एसडीएफ से बगावत कर 2013 में सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (एसकेएम) बनाने वाले प्रेम कुमार तमांग उर्फ पी. एस. गोले ने एसडीएफ के 25 साल के राज को समाप्त करते हुए प्रदेश में सरकार बनाई। 32 सीटों वाले सिक्किम विधानसभा में एसडीएफ को 15 सीटें मिलीं, जबकि सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा को 17 सीटें मिलीं। प्रेम तमांग के नेतृत्व में नई सरकार का गठन हुआ। फिलहाल सिक्किम की एकमात्र लोकसभा सीट पर भी एसकेएम का ही कब्जा है।
इलाके में प्रेम तमांग की पहचान पी. एस. गोले के तौर पर है। एसकेएम ने 24 से अधिक साल तक सत्ता में रहने के बाद चामलिंग सरकार को सत्ता से बेदखल कर दिया। उन्होंने 27 मई 2019 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। सिक्किम में मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों की अधिकतम संख्या 12 हो सकती है।
बताते चले कि 2016 में असम में पहली बार सरकार बनाने के बाद बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए ने नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस का गठन किया था। सिक्किम सहित अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मणिपुर, असम के मुख्यमंत्री इस गठबंधन का हिस्सा बने थे।