ओम दत्त
सियासत जब एक एक वोट सहेजने के लिए जमीन आसमान एक कर रही हो उस वक्त शेयर बाजार की नब्ज की चाल भी कुछ न कुछ संकेत जरूर देती है। फिलहाल देश के शेयर बाजार में गिरावट लगातार जारी है , बीते 6 दिनों से बिकवाली तेज है और बाजार में एक अनजानी सी बेचैनी बढ़ रही है।
शेयर बाजार की इस गिरावट का असर कई बडे खिलाडियों पर देखा जा सकता है। रिलायंस, स्टेट बैंक आफ इंडिया और आईसीआईसीआई के शेयर करीब चार परसेंट तक गिर गए हैं। बाजार में आये इस बदलाव और अब तक मतदान के 5 चरण गुजरने के बीच भी एक रिश्ता है।
पहले माना जा रहा था की शेयर बाजार की इस बेचैनी के पीछे दुनिया में शुरू हुआ ट्रेड वार है लेकिन ब्रोकरेज फार्म एम्बिट के ताजा सर्वे के आने के बाद इस बेचैनी का चुनावी कनेक्शन साफ़ दिखाई देने लगता है।
बिजनेस की दुनिया हमेशा से ही चुनावी माहौल को समझने की कोशिश में लगी रहती है। कारोबारी समूह अपने अपने सर्वे के जरिये भी आंकलन करते रहते हैं। देश की जानी मानी ब्रोकरेज फर्म एम्बिट ने पहली बार एक राजनीतिक सर्वे किया है। एम्बिट का अनुमान है की इस बार के आम चुनावो में एनडीए को बहुमत नहीं मिलने जा रहा। एम्बिट का आंकलन है कि भाजपा यूपी में 30 से 35 सीटों तक सिमट जाएगी और एनडीए को पूरे देश में कुल 220 से 240 तक सीटें जीत सकती है। एम्बिट का यह सर्वे छोटे कारोबारियों, नेताओं और शिक्षाविदों से बातचीत के आधार पर हुआ है।
बड़े व्यापारिक घरानो को भाजपा नीत सरकार सूट करती रही है। 5 चरणों के बाद जब चुनावी तस्वीर कुछ साफ़ होने लगी है तो बाजार में एक बेचैनी सी छा रही है। बाजार के लिए मुफीद होता की भाजपा अकेले अपने दम पर सरकार बनाये , अगर साझीदार बढे तो निश्चित ही नीतियों को बनाने और लागी करने का फ्री हैण्ड भाजपा को नहीं मिलेगा और यही बाजार की असली फ़िक्र है।
बाजार में फिलहाल बिकवाली के जरिये लोग अपना पैसा निकलने में लग गए है। उन्हें आशंका होने लगी है की नतीजे आने के बाद बाजार बहुत तेज़ गिरेगा। हालांकि आम तौर पर नतीजों के बाद बाजार बहुत तेजी से चढ़ता रहा है ,2014 में भी यही ट्रेंड देखा गया था।
ये तो साफ़ है की फिलहाल बाजार में एक अनिश्चितता का माहौल है। वह अनुमान नहीं लगा पा रहा है की आखिर सरकार का स्वरूप क्या होगा ? इसलिए लिए भविष्य में किस तरह की आर्थिक नीतियां होंगी इसका भी अनुमान नहीं लग पा रहा।