न्यूज डेस्क
आखिरकार पूर्व क्रिकेटर व कांग्रेस के फायर ब्रांड नेता नवजोत सिंह सिद्धू का इस्तीफा मंजूर हो गया। सिद्धू के इस्तीफे से कांग्रेस को झटका लगा है या खुद उन्हें यह तो वक्त बतायेगा लेकिन कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के दखल के बाद भी यह मामला सुलझ नहीं सका। अहम की लड़ाई में न तो सिद्धू झुके और न ही पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह। फिलहाल अब सिद्धू के अगले कदम को लेकर कयासबाजी तेज हो गई है।
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने शनिवार को नवजोत सिंह सिद्धू का इस्तीफा स्वीकार कर लिया। सिद्धू का इस्तीफा कैप्टन ने राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर को भेज दिया है।
बताया जाता है कि कैप्टन ने सिद्धू के अपने रुख पर कायम रहने के बाद उनका इस्तीफा स्वीकार करने का फैसला किया। इस्तीफा देने के बाद से सिद्धू मौन साधे हुए हैं। अभी तक उनकी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
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सिद्धू जैसे फायर ब्रांड नेता को खोना नहीं चाहती कांग्रेस
बताया जाता है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह और सिद्घू के बीच विवाद में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी दखल दिया था। उन्होंने कैप्टन को इस्तीफा स्वीकार नहीं करने के लिए कहा था। इसीलिए अब तक सिद्घू का इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया।
प्रियंका के दखल के बाद भी दोनों नेताओं के बीच पैदा हुई अहम की लड़ाई समाप्त नहीं हुई। नवजोत सिंह सिद्धू ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद पुन: पार्टी महासचिव प्रियंका वाड्रा से बात की थी।
वह अपना सम्मान बचाने के लिए पुन: स्थानीय निकाय विभाग मांग रहे थे। कैप्टन ने सिद्धू पर आरोप लगाया था कि उनकी घटिया कारगुजारी के कारण लोकसभा चुनाव में पार्टी को शहरों में नुकसान हुआ। इसे सिद्धू अपने माथे पर कलंक मान रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक खुद प्रियंका गांधी भी यही चाहती थीं कि सिद्धू अपनी जिद छोड़ दें क्योंकि कैप्टन उन्हें निकाय विभाग नहीं देना चाहते।
वहीं अब राज्यपाल बदनौर की स्वीकृति का इंतजार है। इसके बाद नवजोत सिंह सिंह सिद्धू की जगह नए मंत्री बनाए जाने की हलचल शुरू होगी। इस पद के लिए पहले से ही कई नेता लॉबिंग में जुटे हैं।
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सिद्धू के रुख के कारण मामले का हल नहीं निकला
ऐसा नहीं है कि इस मामले का हल निकालने के लिए कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कोशिश नहीं की। कैप्टन पूरे मामले में सिद्धू को लेकर नरम होने को तैयार हो गए थे, लेकिन सिद्धू के रुख के कारण मामले का हल नहीं हुआ।
दरअसल सिद्धू कैबिनेट में फिर से स्थानीय निकाय विभाग मांग रहे थे, लेकिन कैप्टन किसी भी हालत में उन्हें यह विभाग दोबारा देने को तैयार नहीं हुए। गौरतलब है कि कैप्टन ने 6 जून को नवजोत सिंह सिद्धू से स्थानीय निकाय विभाग वापस ले लिया था और उनको ऊर्जा विभाग सौंपा था।
सिद्धू को यही रास नहीं आया था। सिद्धू ने 40 दिनों के बाद भी ऊर्जा विभाग का कार्यभार नहीं संभाला। जब सवाल उठने लगा तब उन्होंने 14 जुलाई को खुलासा किया कि वह मंत्री पद से अपना इस्तीफा 10 जून को राहुल गांधी को सौंप चुके हैं।
जब इस पर भी सवाल उठने लगा तो नवजोत सिंह सिद्धू ने 15 जुलाई को मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को भी अपना इस्तीफा सौंप दिया। इसके बाद से अब अमरिंदर ने इस पर फैसला किया है।
वर्तमान स्थिति में कांग्रेस नवजोत सिद्धू को खोना नहीं चाहती है। कांग्रेस जानती है कि अगर सिद्धू किसी दूसरी पार्टी में जाते हैं तो वह कांग्रेस के लिए परेशानी खड़ी कर सकते हैं।
सिद्धू इसमें कितने माहिर हैं, ये सभी जानते हैं। लोक सभा चुनाव में देश भर में कांग्रेस की हार हुई है। ऐसी स्थिति में पार्टी यह जोखिम उठाने के लिए बिल्कुल तैयार नहीं है। ऐसे में यह भी कहा जा रहा है कि सिद्धू को अब दूसरे तरीके से महत्व दिया जा सकता है।