सैय्यद मोहम्मद अब्बास
पंजाब कांग्रेस में इन दिनों रार मची हुई है। पंजाब में अगले साल चुनाव होना है। ऐसे में कांग्रेस वहां पर अपनी स्थिति को फिर से मजबूत करना चाहती है लेकिन फिलहाल कांग्रेस की ये कोशिश रंग नहीं ला रही है।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह से नवजोत सिंह सिद्धू का छत्तीस का आंकड़ा रहा। इसका नतीजा यह रहा कि दोनों में कभी नहीं बनी। चुनाव से पूर्व दोनों नेता आमने सामने आ गए और कांग्रेस के लिए नई परेशानी पैदा करते नजर आ रहे हैं।
हालांकि कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने सीएम पद छोड़ दिया और वहीं नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब के कांग्रेस के अध्यक्ष पद पाकर खुश हो गए। जब ऐसा लग रहा था कि सबकुछ ठीक हो गया तब अचानक से पंजाब का सियासी ‘ड्रामा’ फिर से तब शुरू हो गया है जब मंगलवार की शाम होते-होते नवजोत सिंह सिद्धू ने पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष पद अचानक से छोड़ दिया।
ऐसे में बड़ा सवाल है कि आखिर नवजोत सिंह सिद्धू चाहते हैं क्या है… नवजोत सिंह सिद्धू के सियासी करियर की बात हो या फिर क्रिकेट करियर की। दोनों में उन्होंने अपने-अपने तरीके से पारी खेली है। क्रिकेट में रहकर कई बार अपने साथी खिलाडिय़ों को अपने निशाने पर लेने में माहिर थे लेकिन राजनीतिक पारी हो या फिर क्रिकेट की पारी सबमें नवजोत सिंह सिद्धू छोडऩे के लिए ज्यादा चर्चा में रहे हैं। छोडऩे का मतलब यह है कि वो कब पलट जाये ये किसी को नहीं पता है।
जब अजहर से नाराज होकर बीच में छोड़ दिया था दौरा
बात अगर क्रिकेट की जाये तो यहां भी नवजोत सिंह सिद्धू हमेशा सुर्खियों में रहे हैं। अपने जमाने में लम्बे-लम्बे छक्के मारने वाले नवजोत सिंह सिद्धू ने एक बार कहा था कि उनके सामने अगर कोई स्पिनर आया है उस गेंदबाज को कभी छोड़ा नहीं है और उसकी गेंदों पर लम्बे-लम्बे छक्के जड़े हैं।
बात 1996 की है जब भारतीय टीम इंग्लैंड के दौरे पर गई थी लेकिन अचानक से नवजोत सिंह सिद्धू ने बीच में दौरा छोड़ दिया था। बताया जाता है वो कप्तान अजहर की एक बात से इतने खफा हुए थे कि उन्होंने रातों-रात इंग्लैंड छोडऩे का बड़ा कदम उठा लिया था।
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बीसीसीआई अध्यक्ष रहे जयवंत लेले ने अपनी किताब ‘आई वॉज देयर- मेमॉयर्स ऑफ ए क्रिकेट एडमिनिस्ट्रेटर’ में इस घटना का पूरा ब्यौरा मौजूद है। किताब में लिखा है कि सिद्धू को लगता था कि अजहरूद्दीन उन्हें बात-बात पर गालियां देते थे और इसी बात से वो वापस आ गए थे। हालांकि सिद्धू ने वर्ष 1999 में क्रिकेट से किनारा कर लिया था।
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कमेंटेटर बने और फिर छा गए
इसके बाद नवजोत सिंह सिद्धू ने 2001 में क्रिकेट के कमेंटेटर के तौर पर अच्छा काम किया और यहां पर ‘गुरु’ के नाम से खूब सुर्खियों में रहे। आलम तो यह रहा कि नवजोत सिंह सिद्धू वनलाइनर्स लोगों को खूब याद रहने लगी लेकिन इसके बाद उन्होंने कमेंटेटर छोड़ दी।
कमेंटेटर छोड़ बीजेपी में मारी एंट्री
नवजोत सिंह सिद्धू ने साल 2004 में बीजेपी ज्वाइंन कर ली और लोकसभा चुनाव में जीत हासिल कर राजीतिक करियर की शुरुआत की लेकिन 2014 के लोकसभा चुनावों में अरुण जेटली के लिए उन्होंने अपनी सीट छोडऩे का फैसला किया।
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बीजेपी भी छोड़ी और फिर कांग्रेस के पाले में गए
इसके बाद बीजेपी ने उन्हें राज्यसभा भेजा लेकिन उन्होंने अचानक से यहां से किनारा कर लिया और बीजेपी भी छोड़ दी। इसके बाद साल 2017 में कांग्रेस पार्टी का दामन थाम लिया है।
इसके बाद से वो पंजाब में बड़े नेता के तौर पर देखा जाने लगा लेकिन अब उन्होंने पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष पद छोडक़र एक बार फिर साबित किया है वो छोडऩे में काफी माहिर है।