अविनाश भदौरिया
मुख्यमंत्री योगी आदित्नाथ ने अपने मंत्रिमंडल विस्तार, विभागों के बंटवारे के बाद अब जिलों के प्रभारी मंत्रियों के दायित्व में भी फेरबदल किया है।
इस फेरबदल में सिद्धार्थनाथ सिंह का मेरठ जनपद के प्रभारी मंत्री का ओहदा छिन गया है। ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा को मेरठ और बरेली का प्रभारी मंत्री बनाया गया है। इसके साथ ही सियासी गलियारे में चर्चाओं का बाजार भी गरमा गया है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, सिंह से पार्टी का शीर्ष नेतृत्व नाखुश है। जिसकी वजह से लगातार उनका कद कम किया जा रहा है।
गौरतलब है कि इससे पहले योगी मंत्रिमंडल में जब बदलाव किया गया तब भी सिद्धार्थनाथ सिंह का विभाग बदल दिया गया था। उनसे चिकित्सा एवं स्वास्थ्य जैसा महकमा लेकर दूसरे मंत्री जय प्रताप सिंह को दिया गया है।
वर्तमान में सिंह को खादी एवं ग्रामोद्योग, रेशम, वस्त्र उद्योग, सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम, निर्यात प्रोत्साहन, एनआरआई, निवेश प्रोत्साहन खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग मिला हुआ है।
ये हैं डिमोशन की वजह
बता दें कि सिद्धार्थनाथ सिंह को स्वास्थ्य विभाग देने के पीछे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा थी कि वह विभाग की कायापलट करेंगे। मगर दो साल से ज्यादा के कार्यकाल में ऐसा कुछ खास नहीं कर पाए। सीएमओ की पोस्टिंग को लेकर भी सवाल उठे।
इसके आलावा हाल में नीति आयोग की जारी रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश की चिकित्सा सुविधाओं को बदहाल बताया गया था। नीति आयोग ने स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में उत्तर प्रदेश को काफी कम 21वीं रैकिंग दी गई थी। जिसके बाद सिद्धार्थनाथ सिंह पर सवाल उठने शुरू हुए थे।
कद्दावर नेताओं में होती है गिनती
सिद्धार्थनाथ सिंह को सरकार में सीएम और दो डेप्युटी सीएम के बाद चौथे नंबर पर माना जाता था। सिद्धार्थनाथ सिंह पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के नाती हैं।
यूपी में मंत्री बनने से पहले बीजेपी की राष्ट्रीय टीम में रहे। वह राष्ट्रीय प्रवक्ता के तौर पर राजधानी दिल्ली में सक्रिय रहते थे। फिर पार्टी नेतृत्व ने उन्हें उत्तर प्रदेश में भेजने का फैसला किया। 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्हें इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा सीट से टिकट मिला और वह यूपी सरकार में मंत्री बने।
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