जुबिली पोस्ट ब्यूरो
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में पीडब्लूडी के ठेकेदार ने खुद को गोली मार कर आत्महत्या कर ली। लेकिन सुसाइड नोट ने पीडब्लूडी अधिकारियों की पोल खोल कर कर रख दी है। आरोप है कि विभागीय काम में कई बार ड्राइंगो को बदलकर, तोड़-फोड़ करके फिर से बनाया जाता रहा है। जिसके भुगतान के लिए उसे हमेशा प्रताड़ित किया जाता रहा है। मृतक ठेकेदार ने कमीशन खोरी का आरोप भी लगाया है।
वाराणसी के नदेसर स्थित पीडब्लूडी के चीफ इंजीनियर अंबिका सिंह के दफ्तर में बुधवार को ठेकेदार अवधेश श्रीवास्तव (45) ने लाइसेंसी असलहे से खुद को गोली मार ली। ठेकेदार निर्माण कार्य के लाखों का बकाया और विभागीय उत्पीड़न का आरोप लगा रहा था।
सूचना के बाद मौके पर पुलिस पहुंच गई है। जिसके बाद पुलिस ने शव को कब्जे में ले लिया है और पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। सूचना पाकर कमिश्नर दीपक अग्रवाल, डीएम सुरेंद्र सिंह और एसएसपी आनंद कुलकर्णी घटनास्थल पर पहुंचे।
चीफ इंजीनियर कार्यालय का गेट बंद करा कर पूछताछ की जा रही है। वहीं ठेकेदार की कार से छह पेजों का सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है। फारेंसिक टीम ने उसे कब्जे में लिया है। पुलिस ने असलहे को भी बरामद कर लिया है।
जानकारी के मुताबिक ठेकेदार अवधेश चंद्र श्रीवास्तव की पीडब्ल्यूडी पर लंबे समय से काफी रकम बकाया थी। विभाग की लापरवाही के कारण मृतक अवेधश का भुगतान नहीं हो पा रहा था। बुधवार सुबह साढ़े 11 बजे अवधेश नदेसर स्थित चीफ इंजीनियर अंबिका सिंह के कार्यालय में पहुंचे तो बकाया भुगतान करने को कहा था। इस पर चीफ इंजीनियर ने उनको बुरी तरह डांट दिया।
इस दौरान ठेकेदार ने मुख्य अभियंता अंबिका सिंह के सामने ही बंदूक निकालकर खुद को गोली मार ली। इस दौरान मौके पर हड़कंप मच गया। जब तक दफ्तर के लोग पहुंचे, तब तक ठेकेदार की मौत हो चुकी थी। सूत्रों के मुताबिक ठेकेदार अवधेश की शिवप्रसाद गुप्ता महिला चिकित्सालय के भवन निर्माण से संबधित पीडब्लूडी पर लगभग चार करोड़ रुपये बकाया थे।
ये लिखा सुसाइड नोट में …
अवधेश ने सुसाइड नोट पर लिखा वर्ष 2014-15 में कबीरचौरा महिला अस्पताल में 100 बैड के मैटरनिटी वार्ड के निर्माण का ठेका ई-टेंडरिंग के माध्यम से उसे दिया गया था। विभागीय अधिकारियों ने अनुबंध को मूल दर से 20 फीसदी ज्यादा पर तय कर दिया।
धीरे-धीरे विभागीय अधिकरियों पर कुल बकाया 14 करोड़ 50 लाख रुपये से ऊपर हो गया। मगर भुगतान की जगह विभागीय अधिकारियों ने कभी मशीनरी एडवांस तो कभी सिक्योरिटी एडवांस के नाम पर अवधेश को भुगतान किया।
हर बार बिल फार्म पर दस्तखत कराए गए। इसके बाद साढ़े चौदह में से केवल दस करोड़ का ही भुगतान किया गया। सुसाइड नोट में अवधेश ने अपर इंजीनियर मनोज कुमार सिंह के अलावा सहायक इंजीनियर पर गंभीर आरोप लगाते हुए लिखा कि उन्होंने मुझ पर लगातार दबाव बनाया है।