जुबिली न्यूज डेस्क
नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को देश की शीर्ष अदालत के फैसले से बड़ा झटका लगा है।
दरअसन नेपाल की सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिनिधि सभा को भंग करने के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के आदेश को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा को प्रधानमंत्री नियुक्त करने का आदेश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट में ओली के फैसले के खिलाफ देउबा सहित 146 लोगों ने संसद को भंग करने के फैसले को चुनौती दी थी।
याचिका में संविधान के अनुच्छेद 76(5) के अनुसार पूर्व प्रधानमंत्री देउबा की प्रधानमंत्री पद पर नियुक्ति की मांग की गई थी।
शीर्ष अदालत के सूचना अधिकारी देवेंद्र ढकाल के मुताबिक संवैधानिक न्यायालय ने फैसला सुनाया है कि प्रधान मंत्री ओली को प्रतिनिधि सभा को भंग करने का कोई अधिकार नहीं है और अदालत ने उनके सभी फैसलों को पलट दिया है।
उन्होंने बताया कि कोर्ट ने सात दिन के भीतर प्रतिनिधि सभा का सत्र बुलाने को कहा है।
नेपाल की शीर्ष अदालत के सूचना अधिकारी ने कहा कि राष्ट्रपति कार्यालय के नाम से पूर्व प्रधानमंत्री देउबा को दो दिन के भीतर नियुक्त करने का आदेश जारी किया गया है क्योंकि प्रधानमंत्री पद के लिए उनके दावे पर 149 हस्ताक्षर हैं।
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संसद भंग और चुनाव का आदेश
22 मई को नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने पीएम ओली की सिफारिश पर संसद भंग कर नवंबर में चुनाव कराने का की घोषणा की थी।
नेपाल की प्रमुख विपक्षी पार्टी नेपाली कांग्रेस ने राष्ट्रपति के इस फैसले को असंवैधानिक बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
पीएम ओली 10 मई को संसद में विश्वास मत नहीं जीत पाए थे जिसके बाद राष्ट्रपति ने विपक्ष को 24 घंटे के अंदर विश्वास मत पेश करने का प्रस्ताव दिया था।
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नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देऊबा ने अपने लिए प्रधानमंत्री पद का दावा किया था और कहा था कि उनके पास 149 सांसदों का समर्थन है।
नेपाली राष्ट्रपति ओली ने पिछले साल दिसंबर में भी संसद भंग करने का फैसला किया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी में इसे असंवैधानिक करार देते हुए संसद को बहाल कर दिया था।