जुबिली स्पेशल डेस्क
पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा। दो राज्यों में उसके हाथ से सत्ता निकल गई जबकि मध्य प्रदेश में उसको करारी शिकस्त झेलनी पड़ी।
हालांकि अच्छी बात ये रही कि तेलंगाना में कांग्रेस ने विजय हासिल की है। तीन राज्यों में मिली हार से कांग्रेस का मनोबल थोड़ा कमजोर हुआ है तो दूसरी ओर विपक्षी गठबंधन पर इसका गहरा असर देखने को मिला।
दरअसल कांग्रेस ने राज्यों के चुनाव में किसी भी दल का सहयोग न लेकर अकेले चुनाव लड़ना भी उसको भारी पड़ा। मध्य प्रदेश में अखिलेश यादव चाहते थे कि कांग्रेस के साथ तालमेल बैठ जाये लेकिन वहां पर कमलनाथ का ओवर कॉन्फिडेंस कांग्रेस को ले डूबा। उन्होंने अखिलेश को एक भी सीट देने से मना कर दिया और इसका नतीजा ये हुआ कि कांग्रेस को वहां पर बड़ी हार झेलनी पड़ी।
5 राज्यों के चुनाव में ‘एकला चलो’ का नारा लेकर चली कांग्रेस को भी उम्मीद नहीं थी कि जनता उसे नकार देगी। ऐसे में इंडिया गठबंधन 2024 के लिए आगे का रास्ता कांटों भरा हो सकता है।
कांग्रेस ने राज्यों के चुनाव में सहयोगियों से गठबंधन से मना कर दिया था। अब जब उसे हार झेलनी पड़ी है तो इंडिया गठबंधन के नेताओं ने आईना दिखाने से नहीं चूके हैं।
सहयोगियों ने यहीं रणनीति अपना रखी है कि वो संसद में तो एक साथ नजर आयेंगे लेकिन बाहर वो मौके की नजाकत को देखते हुए फैसला लेंगे। राज्यों के चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस भी अब फूंक-फूंक कर कदम रख रही है और हर मौके पर विपक्ष के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी नजर आ रही है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के डिनर में भले ही टीएमसी शामिल नहीं हुई हो लेकिन कांग्रेस ने उसे दोस्ती कायम रखने के लिए महुआ मोइत्रा का संसद से निष्कासन, फिर डेरेक ओ ब्रायन का पूरे सत्र के लिए निलंबन हुआ, तो कांग्रेस दोनों मौकों पर टीएमसी के साथ नजर आई। इतना ही नहीं राहुल गांधी और सोनिया गांधी लगातार इस मामले पर टीएमसी के साथ खड़े नजर आये।
वहीं कांग्रेस ने तेलंगाना सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में टीएमसी को खास बुलावा दिया था। ममता बनर्जी ने अपने आखिर अपने विश्वस्त डेरेक ओ ब्रायन को भेज ही दिया था।
अखिलेश, केजरीवाल और नीतीश ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं लेकिन वो भी बार बार इंडिया गठबंधन को मजबूत करने की बात कह रहे हैं और उनको सबसे बड़ी चिंता है कि किसी भी तरह से सीट शेयरिंग पर बात हो जाये ताकि बाद में किसी तरह का विवाद न पैदा हो लेकिन कांग्रेस को अब ये एहसास हो गया है कि विपक्षी गठबंधन को एक करना होगा तभी मोदी को सत्ता से बाहर किया जा सकता है।