न्यूज डेस्क
मोदी सरकार का दूसरा कार्यकाल शुरू होते ही राम मंदिर का मुद्दा फिर सुर्खियों में है। संघ प्रमुख मोहन भागवत से लेकर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने मंदिर निर्माण की बात अलग-अलग मंचो से दोहराई है।
वहीं, उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अध्यक्ष और मोदी मंत्रिमंडल में मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय ने बताया है कि कानून-सम्मत रास्ते से राम मंदिर का निर्माण होगा। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार अयोध्या में श्रीराम जन्मीभूमि स्थल पर मंदिर निर्माण के लिए संकल्पबद्ध है।
उद्धव ठाकरे अयोध्या जा रहे
हालांकि, जानकारों की माने तो राम मंदिर पर बीजेपी की ओर से आ रहे बयानों के पीछे कुछ और ही कहानी है। आम तौर पर चुनाव परिणामों के बाद उद्धव ठाकरे एकवीरा देवी के दर्शन के लिए जाते हैं, लेकिन इस बार वो अयोध्या जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि उद्धव बीजेपी को इसके ज़रिये एक राजनीतिक संदेश दे रहे हैं।
‘दबाव बनाने की रणनीति’
जानकार बता रहे हैं कि मोदी सरकार में साझेदार और एनडीए की सहयोगी पार्टी शिवसेना बीजेपी के पारंपरिक मुद्दे राम मंदिर को अपना बना कर उस पर दबाव की राजनीति कर रही है। शिवसेना राम मंदिर के मुद्दे पर आगे भी आक्रामक रुख़ बनाए रखेगी। वह मानते हैं कि ठाकरे का दूसरा अयोध्या दौरा बीजेपी पर ‘दबाव बनाने की रणनीति‘ का एक हिस्सा है।
इसकी शुरुआत शिवसेना लोकसभा चुनाव से की और नतीजों के आने के बाद पार्टी ने इस मुद्दे को भुनाने के लिए अपनी कोशिशों को और तेज कर दिया है।
गौरतलब है कि इस साल के अंत में महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव होने हैं। उससे पहले शिवसेना उसी तर्ज पर अयोध्या पहुंचकर बीजेपी पर दबाव बनाने की तैयारी में है, जिस तरह से उसने पहुंचकर लोकसभा चुनाव के कुछ पहले अयोध्या पहुंचकर, पहले मंदिर फिर सरकार’ का नारा बुलंद किया था। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे अपने 18 सांसदों के साथ फिर रामलला के दशर्न करने अयोध्या दौरे पर आ रहे हैं। सूत्रों की माने तो 15 जून को उद्धव रामलला की पूजा अर्चना करेंगे।
बताते चले कि लोकसभा चुनाव के पहले शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ‘ग़ैर-राजनीतिक यात्रा’ पर अयोध्या पहुंचे थे। यहां उन्होंने धर्मसभा के एक दिन पहले अयोध्या में बीजेपी को खुली चुनौती देते हुए कहा था राम मंदिर बनान चाहिए। शिवसेना इसके लिए बीजेपी को किसी भी हद तक समर्थन देने को तैयार है। यहीं पर उन्होंने पहले मंदिर फिर सरकार का नारा दिया था।
लोकसभा चुनावों के लिए बीजेपी से गठबंधन का ऐलान होने से पहले शिवसेना बीजेपी पर भी हमलावर थी और उस वक़्त पार्टी के नेता अपने भाषणों में लगातार राम मंदिर का मुद्दा उठा रहे थे। पार्टी की ओर से ‘हर हिंदू की यही पुकार, पहले मंदिर फिर सरकार’ जैसे नारे दिए गए थे।
राजनीतिक जानकारों के मुताबिक शिवसेना का ऐसा करने के पीछे वजह बीजेपी पर दबाव बनाने की थी। उद्धव चाहते थे कि बीजेपी उनसे बराबरी का गठबंधन महाराष्ट्र में रखे। इसके अलावा आने वाले विधानसभा चुनाव में भी यह गठबंधन बराबरी के स्तर पर ही होना चाहिए। उनकी यह तरकीब काम भी आई थी और बीजेपी और शिवसेना की सीटें लगभग बराबर ही बंटी थी।
अब आने वाले विधानसभा चुनाव में सीट शेयरिंग का फॉर्म्युला तय कराने के पहले यही तरकीब दोबारा अपनाई जा रही है। उद्धव पहले ही ऐलान कर चुके हैं कि इस बातर महाराष्ट्र में उनका मुख्यमंत्री होगा, जबकि बीजेपी अपने मुख्यमंत्री की तैयारी में है। बीजेपी अपने पाले में ज्यादा विधायक रखना चाहती है।
उद्धव के अयोध्या दौरे को विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। लोकसभा चुनाव में राष्ट्रवाद और हिंदुत्व का मुद्दा अहम रहा। विधानसभा चुनाव में भी ऐसा हो सकता है। राम मंदिर के पक्षधर वोटरों को आकर्षित करने के लिए शिवसेना उद्धव के अयोध्या दौरे का इस्तेमाल करेगी।
हालांकि, बीजेपी की तरफ से अभी तक उद्धव की अयोध्या पर कोई बयान सामने नहीं आया है लेकिन इसके जवाब में बीजेपी की सहयोगी पार्टी रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (ए) के अध्यक्ष और मोदी मंत्रिमंडल में केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने उद्धव ठाकरे की अगले हफ्ते अयोध्या दौरे चुटकी ली।
आठवले ने मीडियाकर्मियों से बातचीत में कहा, ‘यदि ठाकरे 10 बार अयोध्या जाएं तो भी राम मंदिर में कोई मदद तब तक नहीं मिलेगी, जब तक सर्वोच्च न्यायालय का फैसला नहीं आ जाता।‘
सूत्र बताते है कि उद्धव के कार्यक्रम को अंतिम रूप देने से पहले शिवसेना सांसद संजय राउत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलेंगे। इसके बाद कार्यक्रम की रूपरेखा और तारीख पर अंतिम फैसला होगा। माना जा रहा है कि सीएम योगी भी 15 जून को अयोध्या के दौर पर जाएंगे।