स्पेशल डेस्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अगला विधान सभा चुनाव होने में काफी वक्त है लेकिन बीजेपी को हराने के लिए गैर भाजपा अभी से नई रणनीति बनाने में जुट गए है। सपा-बसपा की गठबंधन टूट गया है और दोनों की राहे भी अलग हो चुकी है। आज से कुछ महीनों पहले सपा-बसपा की दोस्ती की नई गाथा देखने को मिल रही थी लेकिन मोदी लहर में दोनों दलों को भारी नुकसान हुआ।
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उसके बाद से ही दोनों के रास्ते अलग हो गए। दूसरी ओर अखिलेश यादव का सियासी सफर थोड़ा कमजोर नजर आ रहा है। अखिलेश सपा के हक में जो भी कदम उठाते हैं, उसका फायदा कम नुकसान ज्यादा होता है।
ऐसे में अखिलेश यादव ने चुनाव में किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन करने को लेकर जल्दीबाजी में नजर नहीं आ रहे हैं। इतना ही नहीं अखिलेश यादव चुनाव को ध्यान में रखकर जनता के साथ जुड़ते नजर आ रहे हैं। दूसरी ओर शिवपाल यादव और अखिलेश यादव के बीच चली आ रही बरसों की दूरियां कम होने का नाम नहीं ले रही है।
शिवपाल ने साफ कर दिया है कि सपा के साथ उनकी पार्टी प्रसपा का कोई विलय नहीं होगा लेकिन गठबंधन पर विचार किया जा सकता है।
उन्होंने साफ कर दिया है कि आगामी 2022 विधानसभा का चुनाव गठबंधन के साथ लड़ सकती है।
शिवपाल यादव ने यह भी बताया हम उन्हीं के साथ गठबंधन करेंगे जहां पर हमारा तालमेल बनेगा और हमारी पार्टी का सम्मान किया जाएगा। शिवपाल यादव पर आरोप लगता है कि उनकी पार्टी बीजेपी की बी पार्टी है लेकिन उन्होंने यह साफ जाहिर कर दिया फिलहाल हम अभी बीजेपी से ना कोई गठबंधन करेंगे और ना ही उनके साथ जाने का कोई इरादा है।