स्पेशल डेस्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में बीजेपी को सत्ता से बेदखल करने के लिए अखिलेश यादव की पार्टी सपा लगातार मेहनत कर रही है लेकिन इतना आसान नहीं है। हाल के दिनों में सपा का हाल बहुत बुरा रहा है। लोकसभा चुनाव में सपा उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर सकी है। इतना ही नहीं सपा ने चुनाव जीतने के लिए जिस-जिस दल से तालमेल बैठाया लेकिन उससे सपा को कोई खास फायदा नहीं हुआ।
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दूसरी ओर मुलायम कुनबे में चली आ रही रार का असर सपा पर साफ देखा जा सकता है। शिवपाल यादव ने सपा से किनारा कर अपनी नई पार्टी बना ली। इसके आलावा जो लोग अखिलेश यादव से नाराज थे उन्होंने खुशी-खुशी शिवपाल का दामन थाम लिया।
शिवपाल की पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी सपा के वोट बैंक को कमजोर कर रही है। हालांकि हाल के चुनाव में शिवपाल की नई पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी भी कोई करिश्मा नहीं कर सकी है। ऐसे में शिवपाल यादव ने कई मौकों पर अखिलेश के साथ जाने की बात कही है। उन्होंने सपा संग चुनाव लडऩे की ओर बड़े संकेत दिए है।
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अभी हाल में यानी पिछले रविवार को सोनांचल संघर्ष वाहिनी के राष्ट्रीय कार्यकर्ता सम्मेलन में भाग लेने के लिए शिवपाल पहुंचे थे। उन्होंने एक बार फिर पुराना राग अलापते हुए इशारों में कहा कि 2022 के चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी के गठबंधन हो सकता है।
शिवपाल यहीं नहीं रूके आगे कहा कि हम नेताजी (मुलायम सिंह यादव) के साथ पहले भी थे और हमेशा रहेंगे। चुनाव के लिए हमारी प्राथमिकता समाजवादी पार्टी है। पार्टी से तालमेल बिठाएंगे। हालांकि अखिलेश यादव ने साफ कर दिया है अगले चुनाव में सपा अकेली ताल ठोंकेगी।
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अब देखना होगा कि शिवपाल यादव के इस ताजे बयान पर अखिलेश यादव कोई प्रतिक्रिया देते हैं या नहीं। हालांकि अखिलेश के लिए 2022 का विधान सभा चुनाव किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं है।