न्यूज डेस्क
लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की करारी हार के बाद उम्मीद की जा रही थी कि मुलायम सिंह यादव का परिवार फिर से एकजुट हो सकता है और सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव और शिवपाल जो कि अलग होकर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बना चुके हैं, के बीच फिर से पहले की तरह मधुर संबंध बन पाएंगे। लेकिन हाल के दिनों में जिस तरह से दोनों के तरफ से बयानबाजी की जा रही है उससे साफ हो गया है कि अब चाचा और भतीजे की लड़ाई नए मोड़ पर आ गई है।
दरअसल, सपा ने दलबदल कानून के तहत शिवपाल सिंह यादव की विधानसभा सदस्यता रद्द करने के लिए विधानसभा में याचिका लगा दी है, जिसके बाद शिवपाल सिंह यादव ने जसवंतनगर सीट से उपचुनाव लड़ने का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि वह जसवंतनगर से ही चुनाव लड़ेंगे, चाहे सपा मैदान में हो या कोई और।
शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि जसवंतनगर से अभी तक मुझे कोई चुनाव नहीं हरा पाया है। जसवंतनगर की जनता हमारे साथ है। अगर मेरी सदस्यता खत्म होती है तो मैं जसवंत नगर सीट से चुनाव लड़ूंगा, सामने समाजवादी पार्टी का चाहे जो भी चेहरा हो। शिवपाल के इस ऐलान से साफ हो गया है कि अब चाचा और भतीजे की लड़ाई नए मोड़ पर आ गई है।
दूसरी ओर राजनीतिक गलियारों में इस बात की भी चर्चा है कि शिवपाल को कमजोर करके सपा अपना बेस वोट बचाने की कोशिश कर रही है। शिवपाल ने लोकसभा चुनाव के दौरान ही सपा छोड़ दी थी, लेकिन सपा ने उस समय उनकी विधानसभा सदस्यता खत्म कराने को लेकर कोई पहल नहीं की थी। तब माना जा रहा था कि आगे चल कर चाचा-भतीजे में सुलह हो सकती है लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
साफ है कि अब यादव वोट बैंक पर वर्चस्व की लड़ाई में सपा को शिवपाल की पार्टी से जूझना होगा और इसको लेकर मुलायम परिवार में खटास और बढ़ेगी। उपचुनाव में प्रगतिशील समाजवादी पार्टी की नामौजूदगी का फायदा अब किसे होगा, यह तो बाद में पता चलेगा।