Thursday - 7 November 2024 - 6:55 AM

सपा-बसपा के गढ़ में शिवपाल ने बढ़ाई माया-अखिलेश की टेंशन

न्‍यूज डेस्‍क 

समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव से अनबन के बाद नई पार्टी बनाकर पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे शिवपाल सिंह यादव की नजरें पूर्वांचल की 27 सीटों पर टिकी हैं।

पूर्वांचल बीजेपी, सपा, बसपा और कांग्रेस के लिए बड़ी अहमियत रखता है, लेकिन शिवपाल सिंह यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के प्रत्याशी दर्जन भर सीटों पर गठबंधन और कांग्रेस के प्रत्याशी का खेल बिगाड़ सकते हैं।

छठे और सातवें चरण में होने वाले पूर्वी यूपी की 27 सीटों पर 2014 के आम चुनाव में 26 सीटों पर बीजेपी का कब्जा था। वहीं, एक सीट आजमगढ़ पर सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने जीत हासिल की थी।

सपा-बसपा की चिंता  

इस बार सपा प्रमुख अखिलेश यादव और बसपा सुप्रिमो मायावती के आने के बाद जातीय समीकरण बदलें हैं लेकिन इसके साथ ही माया-अखिलेश के लिए दो समस्‍याएं भी खड़ी हो गई हैं, वो है दोनों दलों के कार्यकर्ता और वोटरों का वोट गठबंधन के प्र‍त्‍याशियों को कैसे मिले और दूसरा शिवपाल सिंह यादव हैं।

गौरतलब है कि सूबे में सपा-बसपा गठबंधन के बाद पूर्वांचल की कई सीटें जिसे सपा का मजबूत किला माना जाता है वो बसपा के खाते में चली गई, जिसके बाद वहां पर नाराज सपा नेता और कार्यकर्ता प्रसपा समेत दूसरे दलों का हाथ थाम लिया है। अखिलेश यादव को इस बात का डर है कि नाराज नेता और उनके समर्थक उनके लिए मुसीबत न बन जाए।

अकबरपुर लोकसभा सीट

अकबरपुर संसदीय सीट बसपा के खाते में गई है। यहां से बसपा से निशा सचान चुनावी मैदान हैं। वहीं, अकबरपुर के सपा नेता महेंद्र सिंह यादव आखिरी वक्त में शिवपाल यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी में शामिल हो कर यहां से उम्मीदवार बन गए। ऐसे में सपा को लगता है कि उसका वोटबैंक बसपा के बजाए प्रगतिशील समाजवादी पार्टी में न  शिफ्ट हो जाए।

जौनपुर लोकसभा सीट

जौनपुर की सीट गठबंधन में बसपा के हिस्से आई है। यहां से बसपा श्यामलाल यादव को मैदान में उतारा है, लेकिन प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) की प्रत्याशी संगीता यादव श्यामलाल के दांत खट्टे करने में जुटी है। बीजेपी ने सांसद केपी सिंह पर फिर से भरोसा जताया है। वहीं, कांग्रेस ने देवव्रत मिश्र को उम्‍मीदवार बनाया है। इस सीट पर 12 मई को मतदान होना है।

महराजगंज लोकसभा सीट

महराजगंज में शिवपाल सिंह यादव ने तनुश्री त्रिपाठी को टिकट दिया है। तनुश्री पूर्व सपा नेता अमरमणि त्रिपाठी की पुत्री और विधायक अमनमणि त्रिपाठी की बहन हैं। अमरमणि का महराजगंज में एक आधार है और तनुश्री को इसका भी लाभ मिलेगा। इस तरह से तनुश्री त्रिपाठी कांग्रेस प्रत्याशी को बड़ा नुकसान पहुंचाती नजर आ रही हैं।

दलों का बिगाड़ रहें हैं समीकरण 

इसके अलावा धौरहरा में जितिन प्रसाद के जनाधार में बड़ी सेंध कभी दस्यु सरगना रहे मलखान सिंह यादव लगा रहे हैं। सुल्तानपुर में कमला यादव भाजपा प्रत्याशी मेनका यादव की राह आसान बना रही हैं। यही स्थिति बस्ती में प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी बालगोपाल यादव की भी है। वह वहां गठबंधन के प्रत्याशी को नुकसान पहुंचाते नजर आ रहे हैं।

प्रतापगढ़ में जयसिंह यादव राजकुमारी रत्ना सिंह के लिए परेशानी का सबब बने हैं। गोरखपुर में श्यामनारायण यादव ने बीजेपी के रवि किशन की राह आसान बना दी है। इलाहाबाद में अभिमन्यु सिंह पटेल भी 50 हजार मत पाने की लड़ाई लड़ रहे हैं।

 

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