जुबिली न्यूज डेस्क
मैनपुरी: मैनपुरी चुनाव को लेकर सियासी हलचल मचा हुआ है। वहीं इस चुनाव को लेकर सबकी नजर सपा परिवार पर है। वहीं चुनावी मुद्दे को लेकर शिवपाल यादव के इटावा स्थित घर पर पहुंच कर अखिलेश यादव ने मुलाकात की। डिंपल यादव भी पहुंची। चर्चा मैनपुरी लोकसभा उप चुनाव को लेकर हुई। परिवार की एकजुटता पर भी। और शिवपाल यादव मान गए। दो दिन पहले तक शिवपाल अपनी पार्टी प्रसपा को मजबूत बनाने और इसे मुलायमवादी असली समाजवादी पार्टी बताने में जुटे थे। अचानक मान गए। राजनीति में यह असंभव नहीं है। मानना और रूठना तो राजनीति के दो अहम हिस्से हैं।
वहीं इस मुलाकात को लेकर काफी चर्चा चल रही है। कयास लगाया जा रहा है कि शिवपाल यादव की समाजवादी पार्टी में वापसी हो सकती है। चर्चा उन दोनों परिस्थितियों की। शिवपाल के सपा में आने और उनके सपा में न आने की। आज की परिस्थिति में दोनों ही स्थितियों में शिवपाल यादव की स्थिति बेहतर ही होने वाली है। शिवपाल यादव ने एक झटके में पूरे यादवलैंड की राजनीतिक विसात पर ‘शह’ हासिल कर ली है। यादवलैंड की पॉलिटिक्स में इमोशन और रिश्ते काफी अहम होते हैं। शिवपाल इसे बखूबी जानते और मानते हैं। इसलिए, उनके निर्णय पर खुशी भी जताई जा रही है और उन्हें उचित स्थान देने की मांग भी हो रही है।
मुलायम के सिद्धांतों शिवपाल
मुलायम के सिद्धांतों के आधार पर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बनाने का ऐलान कर दिया। हालांकि, फायदा उन्हें नहीं मिला। लेकिन, समाजवादी पार्टी को नुकसान जरूर हो गया। 2019 में सपा-बसपा गठबंधन के बाद भी पार्टी ने 2014 से कोई भी बेहतर प्रदर्शन नहीं किया। 5 सीटों पर ही जीत दर्ज कर पाने में कामयाब हो पाए। यूपी चुनाव 2022 में अखिलेश यादव ने शिवपाल को साथ में जोड़ा। हालांकि, पहले तीन चरणों तक उन्हें जसवंतनगर में ही सीमित करके छोड़ा गया। फिर ग्राउंड रिपोर्ट आई और पश्चिमी यूपी में किसान आंदोलन के बाद भी सपा गठबंधन के बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद से संबंधित मामला सामने आया, तो शिवपाल को समाजवादी पार्टी का स्टार प्रचारक बना दिया गया।
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शिवपाल की नजर समाजवादी पार्टी में एंट्री
शिवपाल यादव ने अखिलेश यादव और डिंपल यादव के साथ मुलाकात के बाद तस्वीरें जारी की। इसमें वे मुस्कुराते हुए दिख रहे हैं। बातचीत करते दिख रहे हैं। रणनीति बनाते दिख रहे हैं। हालांकि, उन्होंने ट्वीट में जो लिखा है, उसके शब्दों पर गौर करेंगे तो आपको उनके पीछे की राजनीति साफ समझ में आ जाएगी। शिवपाल यादव ने लिखा है कि जिस बाग को सींचा हो खुद नेता जी ने… उस बाग को हम सीचेंगे अपने खून पसीने से। अब बाग मतलब समाजवादी पार्टी ही समझ में आता है, क्योंकि अखिलेश यादव और डिंपल यादव तो बाग नहीं ही कहे जाएंगे। साफ है कि शिवपाल की नजर समाजवादी पार्टी में एंट्री पर है। वहां बड़ी भूमिका मिलने पर है।
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