मल्लिका दूबे
गोरखपुर। सपा-बसपा के बीच गठबंधन की जमीन तैयार करने वाले गोरखपुर में प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के प्रमुख शिवपाल सिंह यादव अपने भतीजे अखिलेश यादव का खेल बिगाड़ने के लिए दांव पर दांव खेल रहे हैं। भतीजा बसपा से गठबंधन कर जहां योगी के गढ़ में उप चुनाव की सफलता दोहराने को बेताब है तो वहीं नाराज चाचा सपा की राह रोकने को बेकरार हैं।
गोरखपुर में पहले उन्होंने यादव बिरादरी का और सपा प्रत्याशी के गृक्षेत्र से उसके पुराने निजी प्रतिद्वंदी को टिकट थमाया। अब मतदान से दो दिन पहले गोरखपुर में रोड शो कर सपा की साइकिल में अपनी चाबी से ताला लगाने की कोशिश भी की। यही नहीं मीडिया से बातचीत में अखिलेश पर हमलावर होते हुए बेहद तल्ख अंदाज में शिवपाल ने यहां तक कह डाला कि अखिलेश ने समाजवाद को मायावती के पैरों पर डाल दिया है।
गोरखपुर में गठबंधन का गणित बिगाड़ने पर है शिवपाल का जोर
गोरखपुर के चुनाव पर पूरे देश की नजर लगी है। यहां लोकसभा चुनाव का उप चुनाव जीतने वाली समाजवादी पार्टी एक बार योगी के गढ़ में अपने और बसपा के वोट बैंक के साथ निषाद प्रत्याशी के बूते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पसीने-पसीने कर रही है। पर, भतीजे अखिलेश यादव से नाराज होकर अलग पार्टी बनाने वाले शिवपाल यादव यहां गठबंधन की गणित बिगाड़ने पर पूरा जोर लगाते नजर आ रहे हैं। सपा के यादव वोट बैंक में सेंधमारी के लिए उन्होंने इसी बिरादरी के श्याम नारायण यादव को प्रत्याशी बना रखा है।
श्याम नारायण यादव इस जिले के उसी चिल्लूपार क्षेत्र से हैं जहां के सपा प्रत्याशी रामभुआल निषाद। यही नहीं रामभुआल और श्याम नारायण के बीच कट्टर निजी सियासी प्रतिद्वंद्विता भी है। चुनावी समर के अंतिम समय में गोरखपुर में रोड शो कर शिवपाल ने भतीजे यानी अखिलेश यादव के माथे पर बल डालने की कोशिश की है। उनके रोड शो में जो भी नेता-कार्यकर्ता नजर आये, वे सब कभी सपा के लिए आवाज बुलंद करते थे।
यादव व मुस्लिम मतों पर प्रसपा की नजर
गोरखपुर में सपा का खेल बिगाड़ने के लिए प्रसपा प्रमुख शिवपाल यादव की नजर यादव व मुस्लिम मतों पर है। सपा के ही पैटर्न पर प्रसपा ने भी संगठन में एम-वाई समीकरण को महत्व दे रखा है। परपंरागत रूप से सपा में जिलाध्यक्ष यादव और शहर अध्यक्ष मुस्लिम होते हैं। प्रसपा ने भी अपने संगठन में यही फार्मूला अपना रखा है। शिपवाल के रोड शो में जो कार्यकर्ता नजर आए उनमें से अधिकांश यादव और मुस्लिम ही थे।
ऐसे में प्रसपा प्रत्याशी को जो भी वोट मिलेंगे, वह गठबंधन के समीकरणीय खाते से जाएंगे। शायद यही वजह है कि गठबंधन के नेता अक्सर शिवपाल की पार्टी को बीजेपी की बी पार्टी कहते फिरते हैं।
बोले शिवपाल-सपा अब प्राइवेट लिमिटेड पार्टी
रोड शो से पहले शिवपाल कुछ पलों के लिए मीडिया से मुखातिब हुए। खुद को बीजेपी की बी पार्टी कहे जाने पर शिवपाल ने कहा कि बीजेपी से उन्हें (सपा-बसपा गठबंधन को) वाकई लड़ना होता तो वे गठबंधन में मुझे भी शामिल कर लेते। लेकिन न तो हमें गठबंधन में शामिल किया गया और न ही कांग्रेस से गठबंधन होने दिया। हमसे गठबंधन न हो, इसके लिए कांग्रेस पर दबाव डाला गया।
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यह पूरे देश को पता है कि दबाव किसने डाला। तो फिर सपा से अलग ही क्यो हुए? इस सवाल पर शिवपाल का जवाब था कि कभी सोचा नहीं था कि सपा से अलग हो जाऊंगा। लेकिन सपा अब नेताजी (मुलायम सिंह यादव) वाली सपा नहीं रही। अब वह प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बन गयी है।
जिसने नेताजी को गुंडों का सरगना बोला, उसी के पैरों में डाल दिया समाजवाद को
सपा-बसपा गठबंधन पर तंज कसते हुए प्रसपा प्रमुख शिवपाल बोले, हम नेताजी के साथ मायावती से लड़े। क्या-क्या नहीं झेला। मायावती ने सपा नेताओं और कार्यकर्ताओं पर सैकड़ों फर्जी मुकदमें लाद दिए। जो मायावती पूरी सपा का गुंडों की पार्टी और नेताजी को गुंडों का सरगना कहती थीं, उन्हीं के पैरों में अखिलेश ने समाजवाद को डाल रखा है।