जुबिली न्यूज डेस्क
लखीमपुर खीरी हिंसा मामला तूल पकड़ता जा रहा है। भले ही योगी सरकार नाराज किसानों को मनाने में कामयाब हो गई हो लेकिन विपक्षी दलों का हमला जारी है।
योगी सरकार ने कोशिश में लगी हुई है कि इस मामले को ज्यादा हवा ना मिले। इसके लिए उसने विपक्षी नेताओं को मौके पर जाने से रोक दिया है। सरकार ने इसके लिए कानून-व्यवस्था बिगडऩे का हावाला दिया गया।
इस सबको लेकर शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में योगी सरकार की खूब खिंचाई की है। सामना ने मंगलवार को जिले की सीमाओं को सील करने और विपक्षी नेताओं को लखीमपुर खीरी जाने से रोकने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की आलोचना की है।
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शिवसेना ने संपादकीय में लिखा है, “योगी सरकार ने लखीमपुर खीरी की सीमाओं को सील कर दिया। घटना स्थल के रास्ते में कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा को गिरफ्तार कर लिया। सांसद हुड्डा के साथ भी दुर्व्यवहार किया गया था। अखिलेश यादव को भी नजरबंद रखा गया था।”
आगे लिखा गया है, ‘अगर लद्दाख में भारत-चीन सीमा को उसी तरह सील कर दिया जाता है जिस तरह से लखीमपुर खीरी की सीमा को सील कर दिया गया है, तो चीनी सैनिकों की घुसपैठ नहीं होती।”
मोदी सरकार पर हमला करते हुए शिवसेना ने अपने संपादकीय में लखीमपुर खीरी की घटना पर पीएम मोदी की चुप्पी पर सवाल उठाया है।
शिवसेना ने कहा, “हमारे प्यारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बहुत ही संवेदनशील और भावुक व्यक्ति हैं। कई बार प्रधानमंत्री गरीबों के मुद्दों पर भावुक होते दिखाई देते हैं। यह चौंकाने वाला है कि प्रधानमंत्री ने इस घटना में मारे गए किसानों के प्रति संवेदना व्यक्त नहीं की है।”
वहीं संपादकीय में लखीमपुर खीरी कांड की जगह ड्रग मामले में शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान की गिरफ्तारी पर ध्यान केंद्रित करने के लिए मीडियाकर्मियों की भी आलोचना की है।
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इसमें कहा गया है, “मीडिया के लिए, शाहरुख खान का बेटा एक केंद्रीय मंत्री के बेटे के विरोध के दौरान किसानों की हत्या से अधिक महत्वपूर्ण है। मीडिया उत्तर प्रदेश के किसानों की नृशंस हत्या से ध्यान हटाकर शाहरुख खान के बेटे पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश कर रहा है।”