न्यूज डेस्क
महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी सरकार की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रहीं हैं। उद्धव कैबिनेट के विस्तार के बाद उठे बगावत के सुर अभी शांत भी नहीं हुए थे कि मलाईदार मंत्रालयों को लेकर घमासान मच गया है।
मंत्रिमंडल विस्तार के दो दिन बाद बुधवार को महा विकास अघाड़ी के सहयोगियों शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के नेताओं ने राज्य सचिवालय में विभागों के बंटवारे को लेकर बैठक की। इसके बाद माना जा रहा है कि मंत्रालय के विभागों के आवंटन की गुरुवार को घोषणा हो सकती है।
उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी सरकार में शिवसेना के खाते में मुख्यमंत्री सहित 15 मंत्री पद आए हैं। शिवसेना कोटे में आवास, शहरी विकास, जल संसाधन, राज्य सड़क विकास, उद्योग, उच्च और तकनीकी शिक्षा, कृषि, सामान्य प्रशासन और परिवहन जैसे विभाग मिलने की संभावना है।
महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार में सबसे ज्यादा मंत्री एनसीपी से बने हैं। ऐसे में सबसे ज्यादा विभाग भी एनसीपी को मिल रहे हैं। एनसीपी के कोटे में वित्त, गृह, ग्रामीण विकास, सामाजिक नियोजन, न्याय, सहकारिता, सिंचाई, उत्पाद शुल्क, खाद्य और नागरिक आपूर्ति, श्रम और अल्पसंख्यक जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय मिल सकते हैं।
उद्धव ठाकरे सरकार में तीसरी सहयोगी कांग्रेस है और उसके खाते में 12 मंत्री बनाए गए हैं। कांग्रेस के कोटे में राजस्व, बिजली, बेसिक शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा, पीडब्ल्यूडी, आदिवासी और महिला-बाल विकास जैसे मंत्रालय मिलने की संभावना है। कृषि और सहकारिता जैसे ग्रामीण क्षेत्रों से संबंधित कोई भी विभाग उसके खाते में नहीं आ रहे हैं। इसे लेकर कांग्रेस में नाराजगी है और पार्टी ने विभागों की अदला-बदली और विभागों की संख्या में वृद्धि की मांग रखी है।
उद्धव मंत्रिमंडल में कांग्रेस के कोटे से 12 मंत्री बने हैं, जिसमें चार वरिष्ठ नेता भी शामिल हैं। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण, बाला साहब थोराट, नितिन राउत और विजय वडेट्टीवार जैसे वरिष्ठ और कांग्रेस के कद्दावर नेता मंत्री बने हैं। कांग्रेस के खाते में राजस्व, ऊर्जा और पीडब्ल्यूडी जैसे महत्वपूर्ण विभाग आ सकते हैं।
ऐसे में कांग्रेस इस असमंजस में है कि चार वरिष्ठ मंत्रियों में तीन महत्वपूर्ण मंत्रालय को कैसे बांटे जबकि पार्टी के वरिष्ठ नेता अपेक्षाकृत छोटे या महत्वहीन विभागों के लिए समझौता करने के मूड में नहीं है। कांग्रेस नेतृत्व ने शिवसेना से अनुरोध किया है कि कृषि या फिर सहकारिता में से एक विभाग उसे दिया जाए, लेकिन शिवसेना इस पर राजी नहीं है।
वहीं, एनसीपी और शिवसेना के बीच गृह मंत्रालय को लेकर खींचतान थी। ऐसे में शिवसेना गृह विभाग देने के लिए राजी हो गई है, लेकिन एनसीपी प्रमुख शरद पवार के सामने असल सवाल है कि इस महत्वपूर्ण विभाग को वो किसे सौंपे।
सूत्रों के मानें तो उद्धव सरकार में उपमुख्यमंत्री अजीत पवार की नजर गृह विभाग पर है, लेकिन शरद पवार ने अजित पवार को देने के मूड में नहीं है। अजित पवार को पवार को हाल ही में भ्रष्टाचार मामले में अभी क्लीन चिट मिली है। ऐसे में अजित पवार को वित्त मंत्रालय दिया जा सकता है, लेकिन गृह विभाग किसे मिलता है यह सवाल अभी भी उलझा हुआ है।
सूत्रों की मानें तो एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने विदर्भ से आने वाले वाले अनिल देशमुख के लिए सिफारिश की है। लेकिन शरद पवार के करीबी और विश्वासपात्र माने जाने वाले दिलीप पाटिल ने भी हाई प्रोफाइल पोर्टफोलियो की डिमांड रखी है। वह किसी भी छोटे पोर्टफोलियो के लिए समझौता करने के लिए तैयार नहीं हैं। इसके अलावा एनसीपी कोटे से छगन भुजबल, जयंत पाटिल जैसे कई एनसीपी के दिग्गज नेता मंत्रिमंडल में शामिल हैं, जिन्हें महत्वपूर्ण मंत्रालय दिए जाने हैं।