जुबिली न्यूज डेस्क
अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद से महाराष्ट्र का सियासी पारा बढ़ा ह़़आ है। पिछले कुछ दिनों से अभिनेत्री कंगना रनौत और शिवसेना के बीच जुबानी जंग जारी है।
कंगना रनौत और शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत के बीच तकरार के बीच आज शिवसेना के मुखपत्र सामना ने अभिनेत्री पर निशाना साधा है। इतना ही नहीं, कंगना हरामखोर कहने वाले राउत को इंटरव्यू के लिए चुनौती देने वाले रिपब्लिक भारत टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी पर भी सामना में निशाना साधा गया है। सामना ने अर्नब को जहां देशद्रोही पत्रकार कहा है तो वहीं कंगना को सुपारीबाज कलाकार।
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शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के आज के लेख में बिना नाम लिए लिखा है कि राजनीतिक एजेंडे को सामने लाने के लिए देशद्रोही पत्रकार और सुपारीबाज कलाकारों के राजद्रोह का समर्थन करना भी ‘हरामखोरी’ ही है। मतलब माटी से बेईमानी ही है।
आगे लिखा गया है कि जो लोग महाराष्ट्र के बेईमानों के साथ खड़े हैं, उन्हें 106 शहीदों की बद्दुआ तो लगेगी ही, लेकिन राज्य की 11 करोड़ जनता भी उन्हें माफ नहीं करेगी। हिंदुत्व और संस्कृत का धर्म और 106 शहीदों के त्याग का अपमान किया गया तथा ऐसा
अपमान करके छत्रपति शिवराज के महाराष्ट्र पर नशे की पिचकारी फेंकने वाले व्यक्ति को केंद्र सरकार विशेष सुरक्षा की पालकी का सम्मान दे रही है।
मालूम हो कि संजय राउत इस मुखपत्र के एडिटर हैं और इससे पहले भी कंगना के लिए हरामखोर का शब्द का वह इस्तेमाल कर चुके हैं।
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कंगना के लिए क्या लिखा
कंगना के मुंबई की तुलना पाक अधिकृत कश्मीर वाले बयान पर मुखपत्र सामना में कहा गया है, ‘मुंबई किसकी? यह सवाल ही कोई ना पूछे। मुंबई महाराष्ट्र की राजधानी है ही, लेकिन देश का सबसे बड़ा आर्थिक लेन-देन का केंद्र भी है। इसी मुंबई के लिए 106 मराठी लोगों ने बलिदान दिया है। इसलिए मुंबई महाराष्ट्र की ही है। मुंबई में ईमान से रहने वाले सब लोगों की है क्योंकि यह हिंदुस्थान की है। इसके पहले वह छत्रपति शिवराय के महाराष्ट्र की है। इसीलिए वह हिंदुस्थान की भी है। मुंबई की तुलना ‘पाक अधिकृत’ कश्मीर से करना और मुंबई पुलिस को माफिया आदि बोलकर खाकी वर्दी का अपमान करना बिगड़ी हुई मानसिकता के लक्षण हैं।”
वाई श्रेणी की सुरक्षा पर भी सवाल
शिवसेना ने कंगना को वाई श्रेणी की सुरक्षा दिए जाने पर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। सामना में लिखा है, ‘महाराष्ट्र की 11 करोड़ मराठी जनता और मुंबई का अपमान मतलब देशद्रोह जैसा अपराध प्रतीत होता है। लेकिन जब ऐसा अपराध करनेवाले लोगों के साथ राष्ट्रभक्त मोदी सरकार का गृह मंत्रालय सुरक्षा कवच देकर खड़ा होता है, तब हमारे 106 शहीद स्वर्ग में आंसू बहा रहे होंगे। अमदाबाद, गुडग़ांव, लखनऊ, वाराणसी, रांची, हैदराबाद, बेंगलुरु और भोपाल जैसे शहरों के बारे में अगर कोई अपमानजनक बयान देता तो केंद्र ने उसे ‘वाई’ सुरक्षा की पालकी दी होती क्या? यह महाराष्ट्र के भाजपाई स्पष्ट करें। देवेंद्र फडणवीस, प्रधानमंत्री मोदी या गृहमंत्री शाह का नाम ‘अरे-तुरे’ से उच्चारण करने वाले टीनपाट चैनलों के मालिकों को भाजपा वालों ने ऐसा समर्थन दिया होता क्या?।’
सामना ने आगे लिखा है कि मुंबई पर अपना हक जताने वाले बहुत सारे लोग आगे आए हैं, लेकिन मुंबई ‘मुंबाई’ देवी का ही प्रसाद है। मुंबई या मुंबादेवी कोली लोगों की कुलदेवी हैं। ‘मुंग’ नामक एक कोली ने इस देवी की स्थापना की इसलिए उसका नाम पहले ‘मुंगाची आई’ पड़ा और ‘महा-अंबाआई’ और फिर उसके बाद ‘मुंबाई’ का आसान नाम देवी को मिला, ऐसा कई लोगों को लगता है। कोई कहता है कि मुंबई ‘मृण्मयी’ का ही रूप है। ऐसी ‘देवी’ स्वरूप मां की तुलना पाक अधिकृत क्षेत्र से करके हमारी देवी का ही अपमान किया गया।
शिवसेना ने कंगना विवाद के बहाने चीन से जारी सीमा विवाद को लेकर भी मिोदी सरकार को घेरने की कोशिश की है। शिवसेना ने लिखा, ‘आज जिस प्रकार से सारे भाजपावाले महाराष्ट्रद्रोहियों के साथ खड़े हैं, उसी विश्वास से हमारी सीमा में घुसे चीनी बंदरों के बारे में हिम्मत दिखाई होती तो लद्दाख और अरुणाचल की सीमा पर देश की बेइज्जती ना होती।’