जुबिली न्यूज डेस्क
दो दिन पहले चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर द्वारा कांग्रेस को लेकर दिए गए बयान पर शनिवार को प्रतिक्रिया देते हुए शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) का नेता कौन होगा, यह तय करने से पहले विपक्ष को भाजपा के खिलाफ एकजुट होना चाहिए।
शिवसेना का यह बयान ऐसे वक्त में आया है जब प्रशांत किशोर ने यह कहकर कांग्रेस पर निशाना साधा कि उसका नेतृत्व किसी व्यक्ति का दैवीय अधिकार नहीं होता है। उन्होंने यह भी कहा था कि पार्टी पिछले 10 वर्षों में 90 फीसदी से अधिक चुनाव हार गई है।
सामना के संपादकीय में विपक्षी दलों से सत्ता में आने के लिए कांग्रेस के पीछे नहीं जाने का आग्रह किया गया। सामना ने कहा, “कांग्रेस अभी भी कई राज्यों में है। गोवा और पूर्वोत्तर राज्यों में कांग्रेस नेता तृणमूल में शामिल हो गए हैं और आप के साथ भी ऐसा ही है।”
संपादकीय में यह भी कहा गया है कि यूपीए जैसा गठबंधन बनाने से बीजेपी को ही मजबूती मिलेगी। इसके साथ ही यह सुझाव दिया, “कांग्रेस के नेताओं सोनिया गांधी और राहुल गांधी को नेतृत्व करना चाहिए और यूपीए को मजबूत करने के लिए आगे आना चाहिए।”
लखीमपुर कांड के दौरान प्रियंका गांधी के प्रयासों की शिवसेना ने सराहना करते हुए कहा, “अगर प्रियंका गांधी लखीमपुर खीरी नहीं जातीं तो मामला खारिज हो जाता। उन्होंने एक विपक्षी नेता के रूप में अपनी भूमिका निभाई।”
इसमें यह भी कहा गया है, ‘संप्रग का नेतृत्व करने की दैवीय शक्ति किसके पास है, यह गौण है। पहले हमें लोगों को विकल्प देने की जरूरत है।’
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मुंबई में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार के साथ एक बैठक के बाद टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी की “कोई यूपीए नहीं है” टिप्पणी पर कई विपक्षी नेताओं ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी।
मुंबई में एक कार्यक्रम में, टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने कहा कि अगर सभी क्षेत्रीय दल एक साथ आते हैं तो बीजेपी को हराना बहुत आसान होगा।
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इसी साल मई माह में पश्चिम बंगाल में हुए विधानसभा चुनावों में टीएमसी की प्रचंड जीत के बाद, ममता लगातार राष्ट्रीय स्तर पर एक मजबूत विकल्प की वकालत कर रही हैं, लेकिन परोक्ष रूप से कांग्रेस को टक्कर दे रही हैं।
मेघालय में कांग्रेस को एक बड़ा झटका तब लगा, जब उसके 17 में से 12 विधायक तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए। टीएमसी राज्य का मुख्य विपक्षी पार्टी बन गई।
हाल की महीनों में टीएमसी में कांग्रेस के कई बड़े नेता शामिल हुए हैं। गोवा में पूर्व मुख्यमंत्री लुइजिन्हो फलेरियो सहित पार्टी नौ अन्य नेता भी टीएमसी में शामिल हो गए।
इसके अलावा अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सुष्मिता देव, कीर्ति आजाद और हरियाणा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर जैसे नाम कांग्रेस छोड़कर टीएमसी शामिल होने वालों में शुमार है।