जुबिली न्यूज़ डेस्क
शिवसेना के मुखपत्र सामना में छपे संजय राउत के लेख में बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत और बीजेपी पर जमकर निशाना साधा है। इस लेख में कहा गया है कि मुंबई के महत्व को कम करने का योजनाबद्ध प्रयास किया जा रहा है। मुंबई की लगातार बदनामी उसी साजिश का हिस्सा है। मुंबई को पाकिस्तान कहनेवाली एक नटी (अभिनेत्री), मुख्यमंत्री को तू-तड़ाक से संबोधित करनेवाला एक समाचार चैनल के संपादक के पीछे कौन है? महाराष्ट्र के भूमिपुत्रों को एक हो जाना चाहिए। ऐसा ये मुश्किल दौर आ गया है।
‘सामना’ के लेख में कहा गया है कि महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई को ग्रहण लगाने का प्रयास एक बार फिर शुरू हो गया है। ये ग्रहण ‘बाहरी’ लोग लगा रहे हैं। लेकिन इन्हें मजबूत बनाने के लिए परंपरा के अनुसार हमारे ही घर के भेदी आगे आए हैं। बीच के दौर में मुंबई को पाकिस्तान कहा गया।
मुंबई का अपमान करनेवाली एक नटी (अभिनेत्री) के अवैध निर्माण पर महानगरपालिका द्वारा कार्रवाई किए जाने के बाद मनपा का उल्लेख ‘बाबर’ के रूप में किया गया। मुंबई को पहले पाकिस्तान बाद में बाबर कहनेवालों के पीछे महाराष्ट्र कि भारतीय जनता पार्टी खड़ी होती है, इसे दुर्भाग्य ही कहना होगा।
मुंबई के विरोध में 40-45 साल पहले कांग्रेस के कुछ नेताओं ने योजनाबद्ध ढंग से साजिशें की थीं। उन साजिशकर्ताओं की छाती पर पांव रखकर भूमिपुत्रों ने संयुक्त महाराष्ट्र का भगवा झंडा लहराया था। भाजपा के एक प्रमुख नेता आशीष शेलार का कहना है कि, ‘जिस कांग्रेस ने भूमिपुत्र आंदोलनकारियों पर गोलियां बरसाई थी, उनके साथ शिवसेना सत्ता में कैसे शामिल हुई?’ भाजपा नेताओं का इतिहास कच्चा है। उस समय श्री मोरारजी देसाई मुख्यमंत्री थे।
शिवसेना ने सामना में लिखा है कि कंगना का मत पूरे फिल्म जगत का मत नहीं है, ऐसा कहना चाहिए था। कम-से-कम अक्षय कुमार आदि बड़े कलाकारों को तो सामने आना ही चाहिए था। मुंबई ने उन्हें भी दिया ही है। मुंबई ने हर किसी को दिया है लेकिन मुंबई के संदर्भ में आभार व्यक्त करने में कइयों को तकलीफ होती है।
दुनियाभर के रईसों के घर मुंबई में हैं। मुंबई का जब अपमान होता है ये सब गर्दन झुकाकर बैठ जाते हैं। मुंबई का महत्व सिर्फ दोहन व पैसा कमाने के लिए ही है। फिर मुंबई पर कोई प्रतिदिन बलात्कार करे तो भी चलेगा। इन सभी को एक बात ध्यान रखनी चाहिए कि ‘ठाकरे’ के हाथ में महाराष्ट्र की कमान है।
लेख में लिखा है कि नटी (अभिनेत्री) मुंबई में बैठकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के प्रति तू-तड़ाक की भाषा में बोलती है। चुनौती देने की बात करती है और उस पर महाराष्ट्र की जनता द्वारा कोई प्रतिक्रिया नहीं दी जाती है, यह कैसी एकतरफा आजादी है? उसके अवैध निर्माण पर हथौड़ा चला, तो वह मेरा राम मंदिर ही था, ऐसा ड्रामा उसने किया।
लेकिन उसने यह अवैध निर्माण कानून का उल्लंघन करके उसके द्वारा घोषित किए गए ‘पाकिस्तान’ में किया था। मुंबई को पाकिस्तान कहना व उसी ‘पाकिस्तान’ में स्थित अवैध निर्माण पर सर्जिकल स्ट्राइक की छाती पीटना, यह कैसा खेल है? संपूर्ण नहीं, कम-से-कम आधे हिंदी फिल्म जगत को तो मुंबई के अपमान के विरोध में आगे आना ही चाहिए था।
मुंबई को पाकिस्तान व मनपा को बाबर की सेना कहनेवालों के पीछे महाराष्ट्र का प्रमुख विरोधी पक्ष खड़ा होता है, यह अजीब है। लेकिन सुशांत और कंगना को समर्थन देकर उन्हें बिहार का चुनाव जीतना है। बिहार के उच्च वर्गीय राजपूत, क्षत्रिय वोट हासिल करने का यह प्रयास है। उसके लिए महाराष्ट्र अपमान हुआ तो भी चलेगा। इस नीति को ‘राष्ट्रीय’ कहनेवालों को यह शोभा नहीं देगा।
महाराष्ट्र का अपमान किया इसके विरोध में दिल्ली में एक भी मराठी केंद्रीय मंत्री को बुरा नहीं लगा। उस पर आक्रोशित होकर इस्तीफा वगैरह देने की तो बात ही छोड़ दो। ‘ठाकरे’ महाराष्ट्र के स्वाभिमान का एक ब्रांड है। दूसरा महत्वपूर्ण ‘ब्रांड’ पवार नाम से चलता है। मुंबई से इन ब्रांड को ही नष्ट करना है व उसके बाद मुंबई पर कब्जा जमाना है। इस साजिश की कलई एक बार फिर खुल गई है।