जुबिली स्पेशल डेस्क
महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है। एकनाथ शिंदे की दोबारा मुख्यमंत्री बनने की चाहत पूरी नहीं हो सकी, जिससे सियासी पारा फिर से चढ़ गया है।
नई सरकार बने काफी वक्त हो चुका है, लेकिन इस बार शिंदे का कद घटकर मुख्यमंत्री से उपमुख्यमंत्री तक सीमित रह गया। इससे उनकी नाराजगी बीजेपी से लगातार बढ़ती जा रही है, और अब कयास लगाए जा रहे हैं कि वह कभी भी गठबंधन से अलग हो सकते हैं।
फडणवीस और शिंदे के बीच बढ़ती खटास
मुख्यमंत्री पद को लेकर शिंदे और देवेंद्र फडणवीस के बीच मतभेद गहरा चुके हैं। कहा जा रहा है कि दोनों की राहें अब अलग हो गई हैं।
शिंदे हाल ही में कुछ कैबिनेट बैठकों से भी दूरी बना चुके हैं, जिससे अटकलें और तेज हो गई हैं।
अमित शाह के कार्यक्रम से भी बनाई दूरी
शिंदे अब महायुति छोड़ने को लेकर एक अलग रणनीति पर काम कर रहे हैं। इसी रणनीति के तहत उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी दूरी बना ली है। अमित शाह शुक्रवार देर रात पुणे पहुंचे और आज (शनिवार) पुणे के विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल होंगे। इन कार्यक्रमों में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री अजीत पवार शामिल होंगे, लेकिन शिंदे नदारद रहेंगे।
शिंदे के इस कदम से महाराष्ट्र की राजनीति में एक और सियासी तूफान आने की संभावना बढ़ गई है। अब देखना होगा कि क्या शिंदे सच में गठबंधन से अलग होंगे या बीजेपी कोई नई रणनीति अपनाएगी।
दो दिन पहले शिंदे ने बयान दिया था – “मुझे हल्के में लेने की गलती मत करना, मैं तांगा पलट देता हूं।”
आज फिर उन्होंने कहा – “अगर मैं पलटा तो तांगा पलट जाएगा। 2022 में भी मैंने यही किया था, जिसे समझना है, वो समझ लें।”
शिंदे का यह बयान सोशल मीडिया पर चर्चा में है, और इसे महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़े उलटफेर के संकेत के रूप में देखा जा रहा है।
शिंदे की नाराजगी, बीजेपी की रणनीति
2022 में उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत कर बीजेपी के समर्थन से सीएम बने शिंदे, लेकिन इस बार उन्हें सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ी और उपमुख्यमंत्री बनना पड़ा।
लोकल मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मुख्यमंत्री फडणवीस और शिंदे के बीच अब बातचीत तक बंद है। बीजेपी अब खुले तौर पर शिंदे से छुटकारा पाने का मौका तलाश रही है।
फडणवीस लगातार अन्य दलों के नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं, जिससे शिंदे की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। शिंदे की
चेतावनी और दिल्ली में पवार की रणनीति
शिंदे एक बार फिर अपने बयानों से राजनीतिक अनिश्चितता के संकेत दे रहे हैं। वहीं, दिल्ली में शरद पवार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मराठी सम्मान के मंच को साझा कर रहे हैं, जिससे महाराष्ट्र की राजनीति और दिलचस्प हो गई है।
क्या शिंदे दोबारा कोई बड़ा राजनीतिक उलटफेर करेंगे या फिर बीजेपी उनके लिए कोई नई रणनीति अपनाएगी? यह देखना दिलचस्प होगा।
फडणवीस महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे से मुलाकात की है। ये मुलाकात इसलिए अहम मानी जा रही है क्योंकि सूबे का सीएम खुद उनसे मिलने गए थे। इतना ही नहीं फडणवीस ने अपने आवास पर शिवसेना यूबीटी के 3 नेताओं का स्वागत किया।
ऐसे में कहा जा सकता है कि सीएम फडणवीस लगातार मौके की तलाश में जिससे उनको एकनाथ शिंदे से छुटकारा मिल सके। सीएम फडणवीस एकनाथ शिंदे को संदेश देना चाहते हैं कि उनके पास उनका विकल्प भी मौजूद है।