जुबिली स्पेशल डेस्क
बांग्लादेश अब भी हिंसा की राह पर चल रहा है। शेख हसीना ने अपनी कुर्सी और अपने देश को छोडऩे पर मजबूर होना पड़ा। इसके बावजूद उनके खिलाफ लोगों का गुस्सा कम नहीं हुआ है।
मौजूदा सरकार भी शेख हसीना पर शिकंजा लगातार कस रही है और उनकी गिरफ्तारी की अटकले भी तेज चल रही है लेकिन फिलहाल शेख हसीना भारत में सुरक्षित तरीके से रह रही है लेकिन उनके देश के हालात खराब होते जा रहे हैं।
ताजा हालात तब और खराब हो गए जब बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान के ढाका स्थित आवास में बुधवार को प्रदर्शनकारियों के एक बड़े समूह ने तोडफ़ोड़ की और आग लगा दी। इस पूरी घटना पर बवाल मच गया है और उनकी बेटी और अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना काफी आहत है।
तोडफ़ोड़ की घटना तब हुई जब जब उनकी बेटी और अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना लोगों को ‘ऑनलाइन’ संबोधित कर रही थीं।
मीडिया रिपोट्र्स के मुताबिक बुधवार रात 9 बजे शेख हसीना संबोधन कर रही थीं तभी हसीना के इस संबोधन के खिलाफ सोशल मीडिया पर ‘बुलडोजर जुलूस’ का आह्वान किया गया।
इसके बाद राजधानी के धानमंडी इलाके में स्थित शेख मुजीबुर रहमान के घर के सामने हजारों लोग जमा हो गए है और जमकर उनके खिलाफ नारेबाजी करने लगे। इतना ही नहीं हसीना के संबोधन के ठीक पहले इस घर में तोडफ़ोड़ और आगजनी शुरू कर दी गई।
शेख मुजीबुर रहमान बांग्लादेश के राष्ट्रपिता और पहले राष्ट्रपति थे। उन्हें “बंगबंधु” (बंगाल के दोस्त) कहा जाता है और वह बांग्लादेश की स्वतंत्रता के प्रमुख नेता थे।
हत्या और विरासत
- 15 अगस्त 1975 को सेना के कुछ असंतुष्ट अधिकारियों ने उनका और उनके परिवार का नरसंहार कर दिया।
- उनकी बेटी शेख हसीना किसी तरह बच गईं और बाद में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री बनीं।
- आज भी शेख मुजीब को बांग्लादेश की स्वतंत्रता के जनक के रूप में याद किया जाता है।