उत्कर्ष सिन्हा
लंबे समय से चल रहा दिल्ली के शाहीन बाग का आंदोलन दुनिया की निगाहों में आ चुका है । दुनिया भर में महिलाओं के इस अनोखे आंदोलन की चर्चा हो रही है , लेकिन शाहीन बाग पर फूटा वीडियो बम फिलहाल इस आंदोलन की बदनामी का बायस बन गया है ।
दिल्ली चुनावों की सरगर्मी के बीच भाजपा के प्रवक्ता संबित पात्रा ने एक ट्वीट शेयर किया जिसमे जेएनयू के एक पूर्व छात्र शरजिल इमाम का वीडीओ है । इस वीडियो में शरजिल इमाम असम के लिए जाने वाले चिकन नेक रास्ते को बंद कर उत्तर पूर्व को देश से काटने की बात कर रहा है । इस वीडियो में भारतीय सेना के लिए भी आपत्ति जनक बाते कही गई हैं ।
वीडियो में शरजिल इमाम जिस तरह की बातें कर रहा है वह कतई स्वीकार नहीं की जा सकती । यदि यह वीडियो सही पाया गया तो निश्चित ही देशद्रोह की श्रेणी में आता है । अब गेंद दिल्ली पुलिस के पाले में है कि वह इस पर क्या और कितनी सख्त कार्यवाही करती है । असम के मुख्यमंत्री ने शरजिल इमाम के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कारवाई के आदेश दे दिए हैं।
संबित पात्रा का दावा है कि यह वीडियो शाहीन बाग का है और वहाँ शरजील जैसे देश विरोधी तत्व आंदोलन के कर्ताधर्ता हैं। लेकिन ये बात अभी तक पुष्ट नहीं हो सकी है कि ये वीडियो शाहीन बाग में दिए गए भाषण का है या फिर किसी और जगह ये भाषण दिया गया।
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जगह जो भी हो मगर शरजिल का ये भाषण कहीं से भी जायज नहीं ठहराया जा सकता । देश भर में नागरिकता कानून के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन शुरुआती दौर की छिटपुट घटनाओं के बाद से शांतिपूर्ण ही रहे हैं। सत्ताधारी बीजेपी के नेता इन आंदोलनों को देश विरोधियों का आंदोलन ठहरा रहे हैं और आंदोलनकारी इसे भारतीय जनता का आंदोलन कह रहे हैं।
इस वीडियो के बाद पिछले साल राम मंदिर पर फैसला आने के बाद शरजील इमाम ने सोशल मीडिया पर Justice Denied नाम से एक कैंपन भी चलाया था इस दौरान वो कई जगह भीड़ को ये बता रहा था कि बाबरी मस्जिद मामले में मुस्लिम समुदाय के साथ न्याय नहीं हुआ। आरोप है कि पिछले कुछ समय से शरजील नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहा था । दावा है कि शरजील CAA के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान जेएनयू, जामिया और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में भी दिखा था ।
शांतिपूर्ण आंदोलनों के बीच इस तरह के तत्व आना भी नई बात नहीं है । ऐसे लोग भीड़ की भावनाओं का फायदा उठाने की कोशिश में भी रहते हैं । दिल्ली विधानसभा चुनावों के वक्त भी ऐसे मामलों से उबाल आना स्वाभाविक है । आम आदमी पार्टी के खिलाफ भाजपा भी अपना एजेंडा सेट का चुकी है । ऐसे में इस वीडियो के राजनीतिक असर होने से भी इनकार नहीं किया जा सकता ।
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लोकतंत्र में सरकार की नीतियों के खिलाफ आंदोलन को नई बात नहीं है । शांतिपूर्ण आंदोलनों को संविधान से भी संरक्षण मिला है , लेकिन इस तरह कि घटनाएं किसी भी आंदोलन का चेहरा खराब करने के लिए काफी है । शाहीन बाग की औरतों को समझना होगा कि यदि उनके आंदोलन को समर्थन मिल रहा है तो शरजिल जैसे तत्वों की हरकतों के बाद समर्थन पाना कठिन हो जाएगा ।