जुबिली स्पेशल डेस्क
शारदीय नवरात्रि की शुरुआत आज से हो गई है। भारत में नवरात्रि की धूम देखी जा सकती है। इसके साथ ही हिन्दू धर्म में नवरात्रि का एक अलग स्थान है।
सात अक्टूबर यानी गुरुवार से पहली नवरात्रि होती है। इस दिन कलश की स्थापना की जाती है और अंखड़ ज्योति जलाई जताी है। नवरात्रि के दौरान मां के नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। जहां तक पहले दिन की बात है तो नवरात्रि के प्रथम दिन मां दुर्गा के प्रथम रूप शैलपुत्री की पूजा की जाती है।
नवरात्रि का समय भक्तों के लिए खास होता है। इस पूरे नौ दिन भक्त माता दुर्गा के अलग अलग रूपों की आराधना करते हैं। मां दुर्गा का आशीर्वाद पाने के लिए ये सबसे उपयुक्त समय होता है।
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शुभ मुहूर्त क्या है ?
घट स्थापना मुहूर्त 7 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 17 मिनट से 7 बजकर 7 मिनट तक है जबकि अभिजीत मुहूर्त 11 बजकर 51 मिनट से दोपहर 12 बजकर 38 मिनट के बीच है।
इसके साथ ही जो लोग इस शुभ योग में कलश स्थापना न कर पाएं, वे दोपहर 12 बजकर 14 मिनट से दोपहर 1 बजकर 42 मिनट तक लाभ का चौघड़िया में और 1 बजकर 42 मिनट से शाम 3 बजकर 9 मिनट तक अमृत के चौघड़िया में कलश-पूजन कर सकते हैं। फिर शाम के समय घट स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त 6 बजकर 15 मिनट से लेकर 9 बजकर 45 मिनट तक रहेगा।
पूजा सामग्री में क्या क्या रहता है
- देवी की प्रतिमा या फोटो
- पान
- सुपारी
- लौंग
- इलायची
- बताशे या मिसरी
- कपूर
- फल-मिठाई
- कलावा
- लाल चुनरी
- लाल वस्त्र
- मौली
- श्रृंगार का सामान
- दीपक
- घी/ तेल
- धूप
- नारियल
- साफ चावल
- कुमकुम
- फूल
पूजा-विधि कैसे करे
- इस दिन सुबह उठकर जल्गी स्नान कर लें
- फिर पूजा के स्थान पर गंगाजल डालकर उसकी शुद्धि कर लें
- घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
- मां दुर्गा का गंगा जल से अभिषेक करें।
- मां को अक्षत, सिन्दूर और लाल पुष्प अर्पित करें, प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं
- धूप और दीपक जलाकर दुर्गा चालीसा का पाठ करें और फिर मां की आरती करें
- मां को भोग भी लगाएं। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है
नवरात्रि का पावन त्योहार आज से शुरू हो गया है। पूरे नौ दिनों तक चलने वाले इस त्योहार में लोग देवी दुर्गा के अलग- अलग रूपों की पूजा करने के साथ व्रत भी रखते हैं।
माता को खुश करने के लिए भक्त माता की पूजा के साथ-साथ व्रत भी रखते हैं। जहां कई लोग शुरुआत का पहला आखिरी दिन व्रत रखते हैं तो वहीं कई लोग पूरे नौ दिन व्रत रखते हैं।
कई बार ऐसा होता है कि जातक से भूलवश अथवा अनजाने में गलती के कारण व्रत भंग या फिर टूट जाता है। अगर आपसे भी इस तरह की गलती हो जाती है घबराने की जरूरत नहीं है। आप इन उपायों की मदद से ईश्वर से इस गलती के लिए क्षमा मांग सकते हैं।