न्यूज डेस्क
लखनऊ में हिंदूवादी नेता और विश्व हिंदू महासभा के अध्यक्ष रंजीत बच्चन की हत्या के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के पूर्व सांसद शरद त्रिपाठी ने उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि माननीयों को दिल्ली छोड़कर यूपी की कानून व्यवस्था पर मंथन करना चाहिए।
जूताकांड से सुर्खियों में आने वाले शरद त्रिपाठी ने नाम न लेते हुए पहली बार उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए फेसबुक पर पोस्ट लिखा, ‘कमलेश तिवारी के बाद आज जिस तरह हिंदू महासभा के अध्यक्ष रणजीत बच्चन की लखनऊ में दिनदहाड़े हत्या कर दी गई वो अति निंदनीय है।
मेरी व्यक्तिगत सोच यही है कि कुछ चंद ‘माननीयों’ को दिल्ली में प्रचार करने के बजाय अपने प्रदेश की कानून व्यवस्था पर मंथन करना चाहिए।’
शरद त्रिपाठी ने कहा, ‘बीजेपी का एक सच्चा कार्यकर्ता होने के नाते आप सब यह प्रण लें कि सही और गलत को गलत कहने की हिम्मत रखें, और अटल जी के मार्ग दर्शन पर चलें।’
बता दें कि सीएम योगी दिल्ली चुनाव प्रचार के लिए 4 फरवरी तक राष्ट्रीय राजधानी में हैं। इस बीच 2 फरवरी को कानून व्यवस्था पर उस समय सवाल खड़ा हो गया जब लखनऊ के हजरतगंज में विश्व हिंदू महासभा के प्रदेश अध्यक्ष रंजीत बच्चन की गोली मारकर हत्या कर दी गई। हत्या तब की गई जब वह सुबह टहलने गए थे।
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दरअसल, रंजीत बच्चन सुबह मॉर्निंग वॉक पर निकले थे। तभी बाइक सवार बदमाशों ने उन पर हमला कर दिया और ताबड़तोड़ गोलियां बरसा दीं। गोली लगने के कारण रंजीत की मौत हो गई। रंजीत की CDRI के पास गोली मारकर हत्या की वारदात को अंजाम दिया गया।
इस हत्याकांड के बाद सूबे में नई लागू की गई कमश्नरी प्रणाली पर भी सवाल खड़ा हो गया है। वहीं, ऐसा पहली बार है जब विपक्ष के साथ-साथ पार्टी के अंदर से किसी शख्स ने उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं।
आपको बता दें शरद त्रिपाठी वर्तमान में देवरिया से सांसद रमापति राम त्रिपाठी के बेटे हैं। वह वर्ष 2014 में संत कबीर नगर से सांसद चुने गए थे। शरद त्रिपाठी उस वक्त सुर्खियों में आए थे जब जिला संचालन समिति की बैठक के दौरान उन्होंने अपने ही पार्टी के एक विधायक और जूतों से हमला कर दिया था और यह वीडियो बहुत वायरल हुआ था। इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में शरद त्रिपाठी का टिकट काटकर उनके पिताजी और वरिष्ठ नेता रमापति राम त्रिपाठी को दे दिया गया था।
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