जुबिली न्यूज डेस्क
राज्यसभा में बुधवार को हुए हंगामे को लेकर सियासी संग्राम छिड़ा हुआ है। जहां एक ओर आज विपक्षी पार्टियों ने कल के हंगामे के विरोध में मार्च निकाला तो वहीं आज मोदी सरकार ने सात मंत्रियों ने इस मुद्दे पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की।
विपक्ष के आरोपों का जवाब देने वालों में मंत्री पीयूष गोयल, धर्मेंद्र प्रधान, प्रह्लाद जोशी, अनुराग ठाकुर, भूपेंद्र यादव, अर्जुन राम मेघवाल और वी मुरलीधरण शामिल थे।
राज्यसभा के नेता सदन पीयूष गोयल ने कहा कि हम बेहद दुख के साथ यहां आए हैं। कुछ सांसदों ने मंत्री के हाथों से जब पर्चे छीन लिए और उन्हें सस्पेंड किया गया तो हमारा कहना था कि आप माफी मांग लो। लेकिन उन्होंने माफी मांगने से इनकार कर दिया।
केंद्रीय मंत्री गोयल ने कहा, ‘ सदन में विपक्ष ने बेंचों पर खड़े होकर हंगामा किया। यही नहीं एक सांसद ने तो रूल बुक ही चेयर पर फेंक दी थी। यदि उस समय कोई चेयर पर होता तो कुछ भी हो सकता था। नीचे सेक्रेटरी जनरल बैठते हैं,। उन्हें चोट लग सकती थी। इससे न सिर्फ कोई घायल होता बल्कि कुछ भी हो सकता था। यह एक तरह का कातिलाना हमला था।’
उन्होंने आगे कहा, छह सांसद तो कांच तोड़कर जबरन सदन में घुसे थे। इतना ही नहीं विपक्षी सांसदों ने एक महिला मार्शल पर भी हमला कर दिया। हम पूरे विपक्ष की निंदा करते हैं कि उनकी मंशा सदन की गरिमा गिराने की रही है। उनकी मंशा थी कि सदन को चलने ही न दिया जाए। अब विपक्ष नाटक कर रहा है और उलटे प्रदर्शन कर रहा है।
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गोयल ने कहा कि हमने जब 9 तारीख को हुए हंगामे और उपद्रव पर चिंता जाहिर की तो उन्होंने कहा कि अब इससे भी बड़ा कुछ होगा।
पीयूष गोयल से पहले विपक्ष पर बरसते हुए संसदीय कार्यमंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा कि मॉनसून सेशन के पहले दिन से ही विपक्ष का बर्ताव सही नहीं था। दरअसल वे संसद को चलने नहीं देना चाहते थे और इस बात का पूरा खुलासा टीएमसी और कांग्रेस के सांसदों ने कर दिया। इससे सेशन पूरी तरह से धुल गया।
उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाते हुए कहा कि विपक्ष के सांसदों ने शीशा तोडऩे की भी कोशिश की। इससे पता चलता है कि आखिर उनकी सोच क्या है। हम चेयरमैन से उपद्रव करने वाले लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई किए जाने की मांग करते हैं।
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विपक्ष को टैक्सपेयर्स के पैसे की कोई चिंता नहीं
उनसे पहले केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि आम लोग संसद में अपने मुद्दों को उठाए जाने का इंतजार ही करते रहे, मगर संसद में अराजकता ही जारी रही। विपक्ष को लोगों की और करदाताओं के पैसे की कोई चिंता नहीं है। जो कुछ भी हुआ, वह निंदाजनक है। उन्हें मगरमच्छ के आंसू बहाने की बजाय देश से माफी मांगनी चाहिए।
इससे पहले गुरुवार को संसद भवन से विजय चौक की ओर मार्च के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर हमला बोला और आरोप लगाया कि पहली बार राज्यसभा में सांसदों की पिटाई की गई और विपक्षी सांसदों के साथ धक्का-मुक्की की गई।
बताते चलें कि संसद से विजय चौक तक इस मार्च में बैनर और तख्ती लिए राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकाजुर्न खडग़े, राष्ट्रीय जनता दल के मनोज कुमार झा, शिवसेना के संजय राउत और अन्य नेता मार्च में शामिल हुए।
इस मार्च के बाद कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि संसद सत्र के दौरान लोकतंत्र की हत्या की गई।
वहीं, शिवसेना के नेता संजय राउत ने कहा कि संसद सत्र के दौरान विपक्षी दल के नेता जनता के हित की बात कहना चाहते थे। यह संसद सत्र नहीं था, बल्कि इस दौरान सरकार ने लोकतंत्र की हत्या की है।
राउत ने कहा कि मार्शल की पोशाक में कल कुछ निजी लोगों ने राज्यसभा में महिला सांसदों पर हमले किये। उन्होंने कहा कि उन्हें ऐसा लगा जैसे ‘मार्शल कानून’ लगा हो।
वहीं बीते बुधवार को भाजपा के कई नेताओं ने राज्यसभा के चेयरमैन वेंकैया नायडू से मिले थे। इसके अलावा गुरुवार सुबह एनसीपी चीफ शरद पवार और शिवसेना के नेता संजय राउत ने भी उपराष्ट्रपति से मुलाकात की थी।
राज्यसभा में मंगलवार और बुधवार को जमकर हिंसा हुई थी और सांसद आपस में झड़प करते दिखे। इस संबंध में एक वीडियो भी राज्यसभा की ओर से जारी किया गया है।
इस उपद्रव को लेकर जहां सरकार ने विपक्ष पर हमला बोला है तो वहीं विपक्ष का कहना है कि सरकार की ओर से जरूरी मुद्दों पर बोलने नहीं दिया गया और अब मुद्दे से भटकाया जा रहा है।