न्यूज डेस्क
बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्तमंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को दोपहर करीब 12 बजे एम्स में अंतिम सांस ली। वे 67 साल के थे। उनके निधन से बीजेपी को गहरी क्षति हुई है। गृह मंत्री अमित शाह ने उनके निधन को व्यक्तिगत क्षति बताया। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली को अपनी बीमारी की गंभीरता का अंदाजा उन्हें पहले ही हो चुका था। इसीलिए उन्होंने दूसरी बार बीजेपी की सरकार बनने पर उनके कैबिनेट में शामिल होने से विनम्रता पूर्वक मना कर दिया था। शायद उन्हें ये अहसास हो गया था कि अब इस दुनिया को अलविदा कहने का समय आ गया है।
जेटली का जन्म 28 दिसंबर 1952 को महाराज किशन जेटली और रतन प्रभा जेटली के घर में हुआ। उनके पिता एक वकील हैं, उन्होंने अपनी विद्यालयी शिक्षा सेंट जेवियर्स स्कूल, नई दिल्ली से 1957-69 में पूर्ण की। उन्होंने अपनी 1973 में श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स, नई दिल्ली से कॉमर्स में स्नातक किया। उन्होंने 1977 में दिल्ली विश्वविद्यालय के विधि संकाय से विधि की डिग्री प्राप्त की। छात्र जीवन में ही जेटली राजनीतिक पटल पर छाने लगे। वह 1974 में वे दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र संघ अध्यक्ष चुन लिए गए।
टॉप 10 वकीलों में शुमार
उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1990 में सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील में रूप में नौकरी शुरू की। वीपी सिंह सरकार में उन्हें 1989 में अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल बनाया गया। उस दौरान उन्होंने बोफोर्स घोटाले की जांच में पेपरवर्क भी किया। जेटली का नाम देश के टॉप 10 वकीलों में शुमार थ।
1991 में बीजेपी के सदस्य बने
बता दें कि उसके बाद जेटली 1991 में बीजेपी के सदस्य बने। हिन्दी और अंग्रेजी-भाषा का अच्छा ज्ञान और प्रखर प्रवक्ता के चलते 1999 के आम चुनाव में बीजेपी ने उन्हें प्रवक्ता बनाया। उसके बाद अटल बिहारी सरकार में उन्हें सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार सौंपा दिया गया। उन्होंने 23 जुलाई 2000 को कानून, न्याय और कंपनी मामलों के केंद्रीय कैबिनेट मंत्री के रूप में राम जेठमलानी के इस्तीफे के बाद कानून, न्याय और कंपनी मामलों के मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार संभाला।
नवंबर 2000 में बने कैबिनेट मंत्री
उन्हें नवंबर 2000 में एक कैबिनेट मंत्री के रूप में पदोन्नत किया गया था और एक साथ कानून, न्याय और कंपनी मामलों और जहाजरानी मंत्री बनाया गया था। इसके बाद वो नौवहन मंत्री थे। उन्होंने एक जुलाई 2001 से केंद्रीय मंत्री, न्याय और कंपनी मामलों के मंत्री के रूप में 1 जुलाई 2002 को नौवहन के कार्यालय को भाजपा और उसके राष्ट्रीय प्रवक्ता के रूप में शामिल किया। उन्हें 29 जनवरी 2003 को केंद्रीय मंत्रिमंडल को वाणिज्य और उद्योग और कानून और न्याय मंत्री के रूप में फिर से नियुक्त किया।
वित्त मंत्री रहते हुए जीएसटी और नोटबंदी जैसे उठाये कदम
वहीं मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में उन्हें वित्त मंत्री के रूप में चुना गया। भारत के वित्त मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान, सरकार ने 9 नवंबर, 2016 से भ्रष्टाचार, काले धन, नकली मुद्रा और आतंकवाद पर अंकुश लगाने के इरादे से महात्मा गांधी श्रृंखला के 500 और 1000 के नोटों का विमुद्रीकरण किया। इसके बाद 20 जून, 2017 को उन्होंने जीएसटी जैसे अहम बिल को संसद में पास कराया।
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