Wednesday - 30 October 2024 - 6:14 AM

तस्वीरों में देखिये दानिश सिद्दीकी के कैमरे की जंग

शबाहत हुसैन विजेता

नई दिल्ली. अमरीकी सेना की वापसी के बाद अफगानिस्तान की तरफ चीन और तालिबान दोनों की ही ललचाई नज़र है. चीन पहले से तैयार था कि इधर अमरीकी सेना वापस लौटेगी उधर बरसों से पददलित किये जा रहे अफगानिस्तान पर अपना झंडा फहरा देगा. लेकिन चीन से ज्यादा चालाक तालिबान ने चीन से पहले ही रूस में यह एलान कर दिया कि अफगानिस्तान के 85 फीसदी हिस्से पर उसका कब्ज़ा है.

इसी 13 जुलाई को 15 घंटे लगातार काम के बाद इस तरह से दानिश ने किया था 15 मिनट का आराम 

तालिबान के इस एलान के बाद लम्बे अरसे से सो रही अफगानिस्तान की वायुसेना जाग गई और तालिबान के सफाए में लग गई. अफगानी वायुसेना ने बड़ी तादाद में तालिबानी मार गिराए. वायुसेना ने ऐसे ठिकानों पर बम बरसाए जहाँ पर तालिबान के होने का अंदेशा था.

भारत का पड़ोसी देश है अफगानिस्तान. अफगानिस्तान की ज़मीन पर बम बरस रहे थे. तालिबान अफगानिस्तान को छोड़ना नहीं चाहता था और अफगानिस्तान की सेना उन्हें हर हाल में खदेड़ने पर आमादा थी.

अफगानिस्तान के आसमान से बरस रही आग को अपने कैमरे में कैद करने के लिए रायटर्स के फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी कई दिन से कंधार में जमे थे. कंधार में दानिश ने बगैर आराम किये 15-15 घंटे लगातार तस्वीरें खींचीं.

दानिश का कैमरा जिन तस्वीरों को क्लिक करता रहा है उन्हीं के बारे में यह कहा जाता है कि हज़ार शब्दों पर भारी होता है फोटोग्राफर का एक क्लिक. उस एक क्लिक के लिए आसमान से बरसती आग के बीच भी रहना पड़ता है और दंगे में भीड़ द्वारा पीटे जा रहे अकेले निरीह इंसान की चीखों पर भी नज़र रखनी पड़ती है.

दानिश सिद्दीकी के जूनून पर पूरी दुनिया की नज़र रहती थी. दानिश को अमरीका की तरफ से दुनिया में शानदार पत्रकारिता के लिए मिलने वाला अवार्ड पुलित्ज़र अवार्ड भी हासिल हुआ था. पुलित्ज़र वास्तव में पत्रकारिता का पद्मश्री है.

दिल्ली के जामिया-मिलिया इस्लामिया से पढ़ाई करने वाले दानिश पर अफगानिस्तान में 13 जुलाई को भी जानलेवा हमला हुआ था लेकिन उनके हौंसलों पर आतंक का वार नहीं हो पाया. हालांकि उन्होंने ट्वीट कर यह बताया था कि वह हमले में बच गए हैं और सुरक्षित हैं. अपने काम में जुटे हुए हैं.

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मुम्बई में पोस्टेड दानिश सिद्दीकी को रायटर्स ने अफगानिस्तान में कवरेज पर भेजा था. जहाँ अपने कैमरे से जंग करते हुए दानिश आज शहीद हो गए. कम उम्र की ज़िन्दगी में दानिश ने पत्रकारिता को जो दिया है वह हमेशा संजोकर रखा जायेगा. जुबिली मीडिया की तरफ से दानिश सिद्दीकी को भावपूर्ण श्रद्धासुमन.

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