लखनऊ। कोरोना काल में अधिकारियों के स्थानांतरण पर केन्द्र-राज्य सरकार की रोक के बावजूद उत्तर प्रदेश वाणिज्य कर विभाग में समायोजन के नाम पर बड़े पैमाने पर सचल दल के असिस्टेंट कमिश्नरों के स्थानांतरण की तैयारी चल रही है। मुख्यालय से लेकर शासन तक चल रही इस गोपनीय कवायद की भनक लगते ही कर्मचारियों व अधिकारियों में नाराजगी उत्पन्न हो गयी है।
सूत्रों का कहना है कि स्थानांतरण के लिए तैयार सूची में प्रदेश भर से 150 असिस्टेंट कमिश्नर सचल दल और 150 असिस्टेंट कमिश्नर सेक्टर के नाम शामिल हैं। कर्मचारियों का कहना है कि ऐसी क्या बाध्यता आ गई कि कोरोना संकट के बीच वाणिज्य कर विभाग में इतनी बड़ी संख्या में अधिकारियों के तबादला किया जा रहा है।
कर्मचारियों का कहना है कि यदि इन अधिकारियों का तबादला 3 वर्ष का सत्र पूर्ण कर लेने के आधार पर किया जा रहा है तो फिर वि.अनु.शा. में 3 वर्ष से तैनात डिप्टी कमिशनरों व ज्वाइंट कमिशनरों पर क्यों नहीं लागू किया जा रहा है? सूत्रों के अनुसार सूची में करीब 300 अधिकारियों के नाम हैं, जिन्हें जिले से बाहर स्थानांतरित किए जाने की कवायद चल रही है। यह सभी अधिकारी अपनी वर्तमान तैनाती स्थल पर 3 वर्ष पूरे कर चुके हैं।
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सूत्रों के अनुसार स्थानांतरण पर रोक संबंधी मुख्य सचिव के आदेश के बाद यह अधिकारी निश्चिंत हो गए थे और वर्तमान तैनाती स्थल पर ही अपने बच्चों के एडमिशन भी स्कूलों में करवा चुके हैं। अब यदि इनका तबादला हुआ तो वहां फिर से बच्चों का नए स्कूल में दाखिल कराना होगा।
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जबकि यह सभी फिलहाल अपने बच्चों की मोटी फीस भी भर चुके हैं। स्थानांतकरण होने की स्थिति में इन अधिकारियों के सामने दुविधा होगी कि अपने परिवार को नई तैनाती वाले जनपद लेकर जाएं या फिर वहीँ छोड़ जाएं।
कर्मचारियों का कहना है कि प्रशासन व पुलिस के अधकारियों को तो उनके तैनाती वाले जनपदों में निवास की सुविधा मिलती है लेकिन वाणिज्य कर के अधिकारियों को निवास की भी कोई व्यवस्था नहीं होती। ऐसे में इन अधिकारियों को नए तैनाती स्थल पर किराए का मकान या कमरा मिलने में भी परेशानी होगी। क्योंकि कोरोना संकट के चलते कोई किराए पर मकान या कमरा देने को तैयार नहीं है।
कर्मचारियों का कहना है कि लोकतंत्र में विधानसभा सत्र काफी अहम होते हैं। लेकिन कोरोना संकट के चलते इस बार मानसून सत्र भी घटाकर तीन दिन का कर दिया गया है। कहा जा रहा है कि कोरोना संक्रमण का खतरा है। लेकिन एक साथ करीब 300 अधिकारियों व उनके परिवारों को जिला बदर करने में शासन-प्रशासन को कोई खतरा नजर नहीं आ रहा है। स्थानांतरण के दौरान यदि यह अधिकारी या इनके परिवार महामारी की चपेट में आ गए तो उसका जिम्मेदार कौन होगा?
कर्मचारियों ने बताया कि जनपद के तमाम कोरोना संवेदशील स्थानों पर सचल दल के अधिकारियों की ड्यूटी लगायी गयी है। अब यदि इन अधिकारियों को हटा कर नए अधिकारियों की नियुक्ति की जाती है, तो प्रशासन को नए सिरे से सभी डयूटियां पुनर्निर्धारित करनी पड़ेंगी। यह काम काफी कठिन है और इससे महामारी को नियंत्रण करने में भी बाधा होगी।
बता दें कि वैश्विक महामारी कोरोना के चलते 12 मई में 2020 मुख्य सचिव आरके तिवारी ने अधिकारियों के स्थानांतरण संबंधित आदेश जारी किया था। जिसके अनुसार अधिकारियों के तबादले कुछ विशेष परिस्थितियों में ही किए जा सकेंगे। मुख्य सचिव के निर्देश के अनुसार अगले आदेश तक सेवानिवृत्ति, मृत्यु, चिकित्सकीय अशक्तता, प्रोन्नति, त्यागपत्र, निलंबन एवं सेवा से पृथक किए जाने की दशा में ही स्थानांतरण किए जाएंगे। इसी प्रकार केंद्र सरकार ने भी वर्ष 2020-21 के लिए इन्ही आधारों पर स्थानांतरण पर रोक लगाई है।