कृष्णमोहन झा
देश में कोरोना का प्रकोप एक बार फिर बढ़ने लगा है। कुछ राज्यों में तो कोरोना संक्रमितों की संख्या इतनी तेजी के साथ बढ़ रही है कि वहां के कुछ शहरों में रात्रिकालीन कर्फ्यू लागू करने के साथ ही शिक्षण संस्थाओं को पुनः बंद करने के आदेश जारी कर दिए गए हैं। महाराष्ट्र के नागपुर शहर में एक सप्ताह का संपूर्ण लाकडाउन लागू करने का राज्य सरकार का फैसला स्थिति भयावह होने के खतरे का संकेत देता है।
गौरतलब है कि एक वर्ष पूर्व लगभग इन्हीं दिनों देश में कोरोना के प्रकोप की शुरुआत होने पर देशव्यापी लाक डाउन का फैसला केंद्र सरकार ने किया था।आज देश के कुछ राज्यों में कोरोना की दिनों दिन होती तेज रफ्तार से बढ़ते संक्रमण को देख कर एक साल पहले के लाक डाउन की कड़वी यादें लोगों के मानस पटल पर फिर उभरने लगी हैं और दबी जुबान से यह चर्चाएं भी शुरू हो गई हैं कि अगर कोरोना संक्रमण की तेज होती रफ्तार जल्द ही नहीं थमी तो नागपुर जैसी नौबत देश के दूसरे शहरों में भी आ सकती है
इसलिए जिन लोगों ने यह मानकर लापरवाही बरतना शुरू कर दिया था कि कोरोना वायरस का भारत से नामोनिशान मिटाने में अब ज्यादा वक्त नहीं लगेगा वे भी कोरोना से बचाव के उपायों को अंगीकार करने की अनिवार्यता महसूस करने लगे हैं ।
अब जबकि महाराष्ट्र, केरल, गुजरात जैसे राज्यों में कोरोना संक्रमण के तेजी से बढते मामले कोरोना की दूसरी लहर के संकेत दे रहे हैं तब राहत की बात सिर्फ इतनी है कि अब देश में कोरोना टीकाकरण अभियान प्रारंभ हो चुका है यद्यपि अभी हम टीकाकरण के लक्ष्य से काफी दूर हैं।
इसीलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत दिवस विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक में इस बात पर विशेष जोर दिया कि हमने कोरोना को हराने में अभी तक जो सफलता प्राप्त की है उससे उपजे आत्मविश्वास को अति आत्मविश्वास में बदलने की स्थिति से हमें बचना होगा।
प्रधानमंत्री के कहने का आशय यही था कि विगत कुछ माहों में कोरोना संक्रमण के मामलों में तेजी से हुई गिरावट का लोगों ने यह मतलब निकाल लिया कि कोरोना को हमने पूरी तरह हरा दिया है और वह अब हमारे देश में कभी सिर नहीं उठा सकता लेकिन लोग यह भूल गए कि दुनिया के कई देशों में कोरोना की दूसरी औरर तीसरी लहर भी आ चुकी है।
इसी अति आत्मविश्वास के वशीभूत होकर हमने कोऱोना से बचाव के लिए आवश्यक उपायों की उपेक्षा प्रारंभ कर इसका परिणाम यह हुआ कि कोरोना संक्रमण के मामलों में क ई माहों की गिरावट के बाद फिर तेजी से उछाल आने लगा। प्रधानमंत्री मोदी ने गत वर्ष भी देश में कोरोना संक्रमण की शुरुआत के बाद राष्ट्र के नाम दिए गए अनेक संदेशों में देशवासियों को इसी तरह सचेत किया था जिसका देशवासियों पर अनुकूल प्रभाव पड़ा।
लोग कोरोनावायरस से बचाव हेतु मास्क लगाने के साथ ही सार्वजनिक स्थानों पर आपस में दो गज की दूरी बनाए रखने के लिए प्रेरित हुए। इसीलिए प्रधानमंत्री ने गत दिवस विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाई जिसमें उन्होंने उन्होंने कोरोना की दूसरी लहर को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाने की आवश्यकता पर बल दिया।
देश में कोरोना की दूसरी लहर की आशंका को देखते हुए प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्रियों की यह बैठक बुलाकर दरअसल देशवासियों को यह भरोसा दिलाया है कि वे कोरोना संक्रमण की वर्तमान स्थिति पर बारीकी से नजर रखे हुए हैं। प्रधानमंत्री की यह पहल निःसंदेह सराहनीय है जिसकी लोग अधीरता से प्रतीक्षा कर रहे थे।
प्रधानमंत्री मोदी ने मुख्यमंत्रियों के साथ अपनी इस बैठक में इस बात पर विशेष जोर दिया कि कोरोना संक्रमण के तेजी से बढ़ते मामलों को नियंत्रित करने हेतु राज्य सरकारों को बिना कोई देरी किए प्रभावी कदम उठाने चाहिए जिससे कि देश में कोरोना की दूसरी लहर को समय रहते रोका जा सके।
इसके साथ ही आम जनता को भी संक्रमण से बचने हेतु अनिवार्य रूप से सभी आवश्यक उपायों पर अमल करने की जो सलाह प्रधानमंत्री ने दी है वह स्थिति की गंभीरता का अहसास कराती है।
गौरतलब है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा हर्षवर्धन और नई दिल्ली स्थित एम्स के डायरेक्टर डा रणदीप गुलेरिया ने भी विगत दिनों यह कहा था कि देश के कुछ हिस्सों में कोरोना संक्रमण के मामलों में उछाल की सबसे बड़ी वजह यह है कि लोगों ने कोरोना संक्रमण के मामलों में लगातार गिरावट को देखकर लापरवाही बरतना शुरू कर दी जिसके कारण एक बार फिर इस जानलेवा वायरस को पैर पसारने का मौका मिल गया।
कोरोना से बचाव कोअंगीकार करने के लिए जनता को सचेत करने की जिम्मेदारी निश्चित रूप से राज्य सरकारों की है। संतोष की बात है कि जिन राज्यों में कोरोना संक्रमण के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है वहां की राज्य सरकारों ने सख्त कदम उठाने शुरू कर दिए हैं।
देश में कोरोना की दूसरी लहर को रोकने के लिए एक ओर जहां यह आवश्यक है कि लोग मुंह पर मास्क लगाकर बाहर निकलें और आपस में हमेशा दो गज की दूरी बनाकर रखें वहीं दूसरी ओर कोरोना टीकाकरण के लक्ष्य को अर्जित करने के लिए हर संभव प्रयास करने की भी आवश्यकता है।
यह जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है और अपनी इस जिम्मेदारी के निर्वहन में कोई राज्य सरकार कोताही न बरते यह केंद्र सरकार को सुनिश्चित करना होगा।कोरोना वैक्सीन की दूसरी डोज लेने के बाद भी कुछ लोगों के कोरोना संक्रमित होने की जो खबरें सामने आ रही हैं उनसे आम जनता में यह धारणा बन रही है कि कोरोना वैक्सीन उतनी प्रभावी नहीं है जैसे कि दावे किए गए थे।
इस तरह की खबरें वैक्सीन की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर रही हैं। लोगों में यह भ्रम भी बना हुआ है कि देश में जो वैक्सीन उपलब्ध हैं वे समान रूप से असरकारक नहीं है।यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह लोगों के इस भ्रम का निराकरण करें ताकि अधिक से अधिक संख्या में लोग वैक्सीन लगवाने के लिए आगे आएं।
वैक्सीन से जुड़ी सारी भ्रांतियों को दूर करने के लिए बाकायदा एक अभियान चलाए जाने की आवश्यकता हैं। जब तक हम टीकाकरण का निर्धारित लक्ष्य एक निश्चित समय सीमा के अंदर पूरा नहीं कर लेते तब हम कोरोना के डर से मुक्ति नहीं पा सकते।कोरोना संक्रमण के मामलों में अचानक आई उछाल ने अनेक राज्य सरकारों की कमियों को भी उजागर कर दिया है।
ऐसा प्रतीत होता है कि जिन राज्यों में कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं उनमें से कुछ राज्यों की सरकारों ने भी यह मान लिया था कि वहां कोरोना कभी दुबारा पैर नहीं पसार सकता। इन राज्यों में कोरोना के प्रबंधन में आई शिथिलता कोरोना संक्रमण की वर्तमान स्थिति से प्नभावी तरीके से निपटने में मुश्किलें पैदा कर रही है।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्रियों के साथ हुई बैठक में उन राज्यों का जिक्र भी किया है जहां कोरोना पाजिटिविटी रेट में अचानक उछाल आया है। इन राज्यों में कोरोना संक्रमितों की संख्या के अनुपात में टेस्ट और टीकाकरण दोनों ही लक्ष्य से काफी कम हैं इसलिए जिन राज्यों में कोरोना संक्रमण की रफ्तार अब मंद पड़ चुकी है वहां की सरकारों को भी अब सचेत होने की आवश्यकता है।
यहां पंजाब और ओडिशा सरकारों की सराहना की जानी चाहिए जिन्होंने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर यह अनुरोध किया है कि वह आवश्यकत सेवाओं में रत कर्मचारियों और पत्रकारों भी फ्रंट लाइन कर्मचारी मानकर उनके टीकाकरण की अनुमति प्रदान करें।
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उल्लेखनीय है कि पंजाब की व्यापारिक नगरी लुधियाना के स्थानीय प्रशासन ने बैंक कर्मचारियों, शिक्षकों , पत्रकारों और न्यायिक सेवा के अधिकारियों के टीकाकरण का अभियान प्रारंभ कर दिया है लेकिन यह निःसंदेह आश्चर्य का विषय है कि जहां एक ओर कोरोनावायरस को काबू में लाने के टीकाकरण की अनिवार्यता पर जोर दिया जा रहा है वहीं दूसरी ओर पर्याप्त रखरखाव के अभाव में कुछ राज्यों में कोरोना के कुछ टीके बर्बाद हो जाने के समाचार मिल रहे हैं।
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इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए यह उम्मीद की जा रही थी कि प्रधानमंत्री विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाकर सार्थक विचार विमर्श करने की पहल करेंगे। निश्चित रूप से प्रधानमंत्री साधुवाद के हकदार हैं।यह उम्मीद भी की जा सकती है कि प्रधानमंत्री यह सिलसिला जारी रखेंगे।