जुबिली स्पेशल डेस्क
नई दिल्ली। सुपरटेक एमेराल्ड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला लिया है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुपरटेक एमेराल्ड मामले में बड़ा फैसला सुनाते हुए नोएडा स्थित सुपरटेक एमेराल्ड के 40 मंजिला ट्विन टावर को तीन महीने में गिराने के आदेश दिए हैं।
यह फैसला जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने दिया है। जानकारी के मुताबिक पूरे मामले में सीधे-सीधे बिल्डिंग प्लान का उल्लंघन किया गया।
इतना ही नहीं नोएडा अथॉरिटी ने लोगों से प्लान शेयर भी नहीं किया। ऐसी स्थिति में इलाहाबाद हाईकोर्ट का टावरों को गिराने का फैसला सुनाया था वो एकदम सही है।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इन टावरों का निर्माण नोएडा प्राधिकरण और सुपरटेक के अधिकारियों के बीच मिलीभगत का नतीजा था। अब इसे सुपरटेक द्वारा इन्हें अपनी लागत पर तीन महीने के समय के अंदर तोड़ा जाना चाहिए।
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इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक को इन ट्विन टावरों के सभी फ्लैट मालिकों को 12 प्रतिशत ब्याज के साथ रकम वापस करने को भी कहा है बेंच ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2014 के फैसले को बरकरार रखा और सुपरटेक को एक एक्सपर्ट बॉडी की देखरेख में इन टावरों को गिराने का निर्देश दिया।
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कोर्ट ने कंपनी को दो महीने के भीतर सभी फ्लैट खरीददारों को रक वापस करने के लिए कहा है, इसके अलावा रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन को 2 करोड़ रुपये का भुगतान करने को कहा है, जिसने अवैध निर्माण के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व किया।
कोर्ट ने लगायी कड़ी फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इसपर सुनवाई करते हुए नोएडा प्राधिकरण को भी नगर निगम और अग्नि सुरक्षा मानदंडों के उल्लंघन में 40-मंजिला टावरों के अवैध निर्माण का मार्ग प्रशस्त करने के लिए बिल्डर के साथ मिलीभगत करने के लिए कड़ी फटकार लगाई।
2014 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इसी तरह का दिया था आदेश
इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2014 में हाउसिंग सोसायटी में नियमों के उल्लंघन पर दोनों टावर गिराने के लिए कहा था। इस दौरान प्राधिकरण के अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई के निर्देश जारी किए थे।
इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा जहां पर सुपरटेक की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई थी।