जुबिली न्यूज डेस्क
उत्तराखंड के चमोली जिले में 7 फरवरी को ग्लेशियर फटने की वजह से बड़ा हादसा हुआ। इस हादसे में 32 लोगों की जान चली गई और अब तक सौ से अधिक लोग लापता है।
यह हादसा कैसे हुआ फिलहाल इस रहस्य से पर्दा उठ गया है। चमोली में यह जानलेवा घटना रॉक एवलांच और रौंथी नाले में एक कृत्रिम अस्थायी डैम बनने के कारण हुई।
दरअसल रौंथी नाला ऊपर काफी संकरी है और नीचे चौड़ी। इसलिए एवलांच की गति ऊपर तेज थी, मगर नीचे वह मंद पड़ गई।
रौंथी नाला ऋषि गंगा नदी से जुड़ी हुई है और यह धौली गंगा नदी से जुड़ती है। यही एवलांच का रास्ता बना।
इस बारे में वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी (डब्ल्यूआईएचजी) के निदेशक कलाचंद सेन ने भी जानकारी दी है।
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सेन ने बताया कि बहुत बड़े आकार वाले रौंथी ग्लेशियर के जस्ट बगल में एक ग्लेशियर का टुकड़ा लटक रहा था। इस ग्लेशियर के टुकड़े के नीचे एक बड़ा चट्टानी टुकड़ा (रॉक मास) भी था। यह कुछ समय में कमजोर हो गया। मतलब धीरे-धीरे वीक प्लेन बना और गुरुत्वाकर्षण के कारण यह ग्लेशियर और रॉक मास कमजोर होकर नीचे गिरा।
उन्होंने कहा कि इस रॉक मास और ग्लेशियर के टुकड़े के साथ आए मलबे की वजह से नीचे रौंथी नाले में एक अस्थायी आर्टिफीसियल डैम भी बन गया। मिट्टी, बर्फ, ग्लेशियर का टुकड़ा, रॉक मास नेे नाले के मुंह को बंद किया। इस कारण धीरे-धीरे वहां बड़ी मात्रा में पानी भी जमा हो गया और अचानक यह कृत्रिम मलबे का डैम टूट गया।
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वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के पांच सदस्यों वाले साइंटिस्ट के दल ने अपने ग्राउंड और एरियल अध्ययन में यह प्राथमिक निष्कर्ष निकाला है।
वैज्ञानिकों ने कहा कि हाई एल्टीट्यूड पर हम नहीं पहुंच पाए और यह प्रारंभिक अध्ययन है। फिलहा इस प्रारंभिक आकलन के बाद सारे कयासों पर विराम लग गया है।