जुबिली न्यूज डेस्क
शिक्षा मंत्रालय के एक फरमान पर वैज्ञानिकों ने नाराजगी जतायी है। दरअसल शिक्षा मंत्रालय ने आरएसएस से जुड़ी संस्था के वेबिनार में शिक्षा विशेषज्ञों को भाग लेने का फरमान जारी किया गया है।
शिक्षा मंत्रालय का यह फरमान वैज्ञानिकों को रास नहीं आया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस आशय का सर्कुलर जारी होने से उन्हें हैरत हुई है।
वैज्ञानिकों का सवाल है कि आखिर सरकार ऐसा कैसे कर सकती है। मंत्रालय इतने अहम काम का जिम्मा एक निजी संस्थान को कैसे दे सकता है।
दरअसल सारा विवाद आरएसएस से जुड़े भारतीय शिक्षण मंडल को लेकर है। शिक्षा मंत्रालय ने भी एक सर्कुलर जारी कर विश्वविद्यालयों के साथ अनुसंधान का काम करने वाले कुछ प्रमुख संस्थानों को फरमान जारी किया है कि वो उन वेबिनार और सेमिनार में शिरकत करें, जो भारतीय शिक्षण मंडल भविष्य में आयोजित करेगा।
दरअसल, इस तरह के वेबिनार और सेमिनार का आयोजन के जरिए सरकार नेशनल एजुकेशन पॉलिसी का प्रचार और प्रसार करना चाहती है।
सरकार के इस कदम का वैज्ञानिकों ने तीखा विरोध करते हुए कहा, उन्हें हैरत है कि नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के प्रचार का जिम्मा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े एक गैर सरकारी संगठन को कैसे दे दिया गया।
उन्होंने यह भी कहा कि नीति आयोग स्टैंडिंग कमेटी के एजुकेशन सब ग्रुप में इस संस्था को जगह कैसे मिली। वैज्ञानिकों के मुताबिक, भारतीय शिक्षण मंडल ने शिक्षण क्षेत्र में ऐसा कोई अनुकरणीय काम नहीं किया है जो इसे नीति आयोग स्टैंडिंग कमेटी में शामिल किया जाता।
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वैज्ञानिकों ने सरकार से तत्काल इस फैसले को वापस लेने का आग्रह करते हुए कहा कि नेशनल एजुकेशन पॉलिसी से जुड़े अवेयरनेस प्रोग्राम में सरकारी संस्थानों को शामिल किया जाए।
वहीं बीएसएस के अध्यक्ष धु्रव ज्योति मुखोपाध्याय का कहना है कि इस बात को लेकर आशंका जताई जा रही है कि नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के जरिए केंद्र सरकार एजुकेशन सिस्टम में हिंदुत्व की विचारधारा को लागू करने जा रही है।
उनका कहना है कि पॉलिसी में कई जगहों पर भारत के प्राचीन काल की शिक्षा पद्धति का उल्लेख है। उनका कहना है कि अब सरकार भारतीय शिक्षा मंडल के जरिए एजुकेशन सिस्टम के भगवाकरण की कोशिश में जुटी है।
ध्यान रहे कि शिक्षा मंत्रालय ने इस आशय को लेकर जो हिदायतें संस्थानों को जारी की हैं, वह पत्र भारतीय शिक्षण मंडल की तरफ से लिखा गया।
मंत्रालय ने इसी पत्र को सभी संस्थानों को फारवर्ड किया है। इसमें लिखा गया है कि शिक्षा मंडल को यह जिम्मा नीति आयोग ने दिया ह, जिसके तहत संस्थान नेशनल एजुकेशन पॉलिसी को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर जागरूकता अभियान चलाने जा रहा है।