स्पेशल डेस्क
पूरी दुनिया इस समय कोरोना से जूझ रही है। चीन से निकला कोरोना वायरस अब पूरी दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा बनकर सामने आया है। आलम तो यह है कि कोरोना की दवा अभी तक नहीं मिली है लेकिन दुनिया के बड़े से बड़े वैज्ञानिक कोरोना की दवा खोजने में लगे हुए। हालांकि अभी तक कोई भी इसकी दवा या वैक्सीन नहीं खोज पाया है।
इस बीच एक वैज्ञानिक स्टडी में दावा किया जा रहा है कोरोना से बचना है तो केवल इन खास उपायों से कोरोना को रोका जा सकता है। वैज्ञानिकों ने कोरोना को देखते हुए कई प्रयोग कर डाले हैं। इस मॉडलों पर गौर करें तो एक मॉडल ऐसा है जो कोरोना को 80 फीसदी कम कर सकता है।
वैज्ञानिकों ने माना है कि कोरोना को रोकना है तो केवल मॉस्क और सोशल डिस्टेंसिंग को सख्ती से पालन करना होगा। व्हाइट हाउस ने भी इस बात को माना है और अपने सभी कर्मचारियों को मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया।
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इसके बाद से राष्ट्रपति ट्रंप के साथ अन्य नेताओं भी मॉस्क पहनते नजर आ रहे हैं। मॉस्क और सोशल डिस्टेंसिंग की बात को अग बल तब और मिला जब स्टडी कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के अंतरराष्ट्रीय कंप्यूटर विज्ञान संस्थान और हांगकांग के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय इसपर रिसर्ज की और तब इस नतीजे पर पहुंचे है। । स्टडी के प्रमुख शोधकर्ता डॉक्टर डेकाई वू का कहना है कि मास्क की अनिवार्यता का आधार वैज्ञानिक मॉडल और इसकी जरूरत है।
स्टडी में पाया गया है कि जापान इसका सबसे बड़ा उदाहरण है क्योंकि वहां पर मास्क पहनने का कल्चर पहले से रहा है। स्टडी में बताया गया है कि कैसे जापान ने कोरोना को मॉस्क के सहारे काबू किया है। इसमें कहा गया है कि जापान में छह मार्च को केल 21 लोगों की मौत हुई थी जबकि अमेरिका में कोरोना से 2,129 लोगों की मौत हो चुकी है। इतना ही नहीं अमेरिका में लॉकडाउन लगा है लेकिन जापान ने लॉकडाउन उस तरीके से नहीं लगाया गया था। इसका नतीजा यह रहा कि जापान में अब कोरोना उतना सक्रिय नहीं रहा है।
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अर्थशास्त्री और इस स्टडी में सहयोग करने वाले पेरिस के इकोले डे गुएरे ने कहा कि सिर्फ मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग ही ऐसी चीज है जो कोरोना से बचाने का काम कर सकती है। जब तक इसकी कोई वैक्सीन या दवा नहीं बन जाती, हमें कोरोना से ऐसे ही लडऩा होगा। ऐसे में कहा जा रहा है आने वाले समय में कोरोना से बचना है तो सिर्फ मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा।