जुबिली न्यूज डेस्क
सुप्रीम कोर्ट ने हल्द्वानी के बनभूलपुरा इलाके में रेलवे की 29 एकड़ जमीन से अतिक्रमण हटाने के नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है. अदालत ने मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख 7 फरवरी तय की है, उत्तराखंड सरकार और रेलवे को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अभय एस. ओक की बेंच ने मामले में सुनवाई की.
राज्य सरकार से हस्तक्षेप की मांग
बता दे कि याचिकाकर्ताओं की तरफ से वरिष्ठ वकील कोलिन ने बहस की शुरुआत की. उन्होंने शीर्ष अदालत के सामने नैनीताल हाई कोर्ट के आदेश को पढ़ा और कहा कि वहां पक्के निर्माण हैं, स्कूल और कॉलेज हैं. याचिकाकर्ताओं के वकील ने शीर्ष अदालत से कहा कि प्रभावित होने वाले लोगों का पक्ष पहले भी नहीं सुना गया था और फिर से वही हुआ. हमने राज्य सरकार से हस्तक्षेप की मांग की थी. रेलवे के स्पेशल एक्ट के तहत हाई कोर्ट ने कार्रवाई करके अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया.
7 दिनों में भूमि खाली कराने का फैसला सही नहीं
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि उत्तराखंड या रेलवे की तरफ से कौन है? रेलवे का पक्ष रखते हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने शीर्ष अदालत को बताया कि कुछ अपील पेंडिंग हैं. लेकिन किसी भी मामले में कोई रोक नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोग कई सालों से वहां रह रहे हैं. उनके पुनर्वास के लिए कोई स्किम? आप केवल 7 दिनों का समय दे रहे हैं और कह रहे हैं खाली करो. यह मानवीय मामला है.
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रेलवे और उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी
कुछ व्यावहारिक समाधान खोजने की जरूरत है. उत्तराखंड सरकार की तरफ से कौन है? सरकार का स्टैंड क्या है इस मामले में? शीर्ष अदालत ने पूछा कि जिन लोगों ने नीलामी में लैंड खरीदा है, उसे आप कैसे डील करेंगे? लोग 50/60 वर्षों से वहां रह रहे हैं. उनके पुनर्वास की कोई योजना तो होनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 50,000 लोगों को रातोंरात नहीं उजाड़ा जा सकता है. लोगों से 7 दिनों में भूमि खाली कराने का फैसला सही नहीं है.’ इसके साथ सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय पीठ ने नैनीताल हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाई, रेलवे और उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया.
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