जुबिली न्यूज डेस्क
देश की शीर्ष अदालत ने कहा है कि NEET-PG में दाखिले में इस साल ओबीसी और EWS (आर्थिक रूप से कमजोर) कोटा बरकरार रहेगा।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एएस बोपन्ना की बेंच ने कहा है कि ओबीसी का 27 प्रतिशत कोटा और EWS के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण बरकरार रहेगा।
अदालत ने कहा है कि EWS को लेकर मार्च में विस्तार से सुनवाई होगी।
NEET-PG में दाखिले में OBC और EWS कोटा के तहत मिले आरक्षण को चुनौती देती याचिकाओं पर शीर्ष अदालत ने ये फैसला दिया है।
अदालत में दाखिल याचिकाओं में 29 जुलाई 2021 की उस अधिसूचना को चुनौती दी गई थी, जिसमें अखिल भारतीय स्तर पर NEET-PG में ओबीसी को 27 प्रतिशत और EWS को 10 फीसदी आरक्षण देने की बात कही थी।
आर्थिक रूप से कमजोर (EWS) वर्ग को परिभाषित करने के केंद्र सरकार के तरीके पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल खड़ा किया था।
शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार से पूछा है कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण के लिए पात्रता निर्धारित करने के लिए ‘आठ लाख रुपए की सालाना आय’ को आधार क्यों और कैसे बनाया गया है?
Supreme Court allows 27% reservation for Other Backward Class (OBC) and 10% for Economically Weaker Section (EWS) category in the All-India Quota (AIQ) seats for admission in the NEET for all medical seats as existing criteria this year.
— ANI (@ANI) January 7, 2022
क्या है पूरा मामला
भारत के सभी राज्यों के मेडिकल संस्थानों में साल 1986 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर ‘ऑल इंडिया कोटा’ (्रढ्ढक्त) लागू किया गया।
ये ऑल इंडिया कोटा राज्य के अधीन आने वाले मेडिकल कॉलेज में सीटों का वो हिस्सा है, जो राज्य के कॉलेज, केंद्र सरकार को देते हैं।
साल 2007 तक इसमें आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्देश में कहा था कि सभी राज्य अपने
मेडिकल कॉलेज की 15 फीसदी अंडर ग्रैजुएट सीटें और 50 प्रतिशत ग्रैजुएट सीटें केंद्र सरकार को देंगी।
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इसमें पहले एससी और एसटी का आरक्षण लागू किया गया। उसके बाद से ही इसमें ओबीसी आरक्षण को लेकर मुहिम शुरू हुई। 2021 में केंद्र सरकार ने इस माँग को स्वीकार किया और 10 प्रतिशत EWS आरक्षण भी जोड़ दिया।
केंद्र सरकार के अनुसार ईडब्ल्यूएस के तहत आरक्षण का लाभ वही छात्र उठा सकते हैं, जिनके परिवार की सालाना आय 8 लाख रुपए से कम है।
लेकिन फैसले के तुरंत बाद नीट पोस्ट ग्रैजुएट एग्जाम में बैठने की तैयारी करने वाले तकरीबन 45 छात्र, दो समूहों में सुप्रीम कोर्ट पहुंचे और सरकार के इस फैसले को पीजी एग्जाम में इस साल लागू करने से रोकने की मांग की।
अब कोर्ट में याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई चल रही है।
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