जुबिली न्यूज डेस्क
उच्चतम न्यायालय ने पेगासस जासूसी मामले में स्वतंत्र जांच की मांग वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुना दिया है। अदालत ने कहा कि पेगासस जासूसी केस की जांच एक्सपर्ट कमेटी करेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए यह भी कहा कि लोगों की जासूसी किसी भी कीमत पर मंजूर नहीं की जा सकती।
पेगासस कांड की जांच के लिए शीर्ष अदालत ने तीन सदस्यीय कमेटी गठित की है और जांच करने के लिए 8 सप्ताह का समय दिया है।
इससे पहले मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण, न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने 13 सितंबर को इस मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा था कि अदालत केवल यह जानना चाहती है कि क्या केंद्र सरकार ने नागरिकों की कथित जासूसी के लिए अवैध तरीके से पेगासस सॉफ्टवेयर का उपयोग किया या नहीं?
पीठ ने मौखिक टिप्पणी की थी कि वह मामले की जांच के लिए तकनीकी विशेषज्ञ समिति का गठन करेगी।
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पेगासस मामले पर शीर्ष अदालत ने कहा कि इस पर केंद्र द्वारा कोई विशेष खंडन नहीं किया गया, इस प्रकार हमारे पास याचिकाकर्ता की दलीलों को प्रथम दृष्टया स्वीकार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
अदालत ने कहा कि हम एक विशेषज्ञ समिति नियुक्त करते हैं जिसका कार्य सर्वोच्च न्यायालय द्वारा देखा जाएगा। अदालत ने एक्सपर्ट कमेटी को आरोपों की पूरी तरह से जांच करने और कोर्ट के समक्ष रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई 8 सप्ताह के बाद तय कर दी है। एक्सपर्ट कमेटी में तीन सदस्य होंगे। तीन सदस्यीय समिति की अध्यक्षता शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश आरवी रवींद्रन करेंगे, वहीं अन्य सदस्य आलोक जोशी और संदीप ओबेरॉय होंगे।
क्या हुआ पिछली सुनवाई में?
शीर्ष अदालत द्वारा समिति गठित करने संबंधी टिप्पणी केंद्र के बयान के संदर्भ में अहम है जिसमें उसने कहा था कि वह स्वयं इस पूरे मामले को देखने के लिए विशेषज्ञ समिति का गठन करेगी।
उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि वह अगले कुछ दिनों में इस बारे में अपना आदेश सुनायेगी। कोर्ट ने केंद्र की ओर से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता से कहा था कि अगर सरकार दोबारा विस्तृत हलफनामा देना चाहती है तो मामले का उल्लेख करें।
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पीठ ने कहा था कि वह केवल केंद्र सरकार से जानना चाहती है जिसने राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देकर विस्तृत हलफनामा जमा करने
के प्रति अनिच्छा जताई है कि क्या पेगासस का कथित इस्तेमाल व्यक्तियों की जासूसी करने के लिए किया गया? क्या यह कानूनी तरीके से किया गया?
पत्रकारों और कुछ अन्य लोगों द्वारा पेगासस विवाद में निजता के हनन को लेकर जताई गई चिंता पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि उसकी रुचि राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी विस्तृत जानकारी में नहीं है।
किस पर हो रही सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट पेगासस मामले में दाखिल कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है जिनमें वरिष्ठ पत्रकारा एन राम और शशि कुमार के साथ-साथ एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की याचिका भी याचिका शामिल है।
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इन याचिकाओं में कथित पेगासस जासूसी कांड की स्वतंत्र जांच की मांग की गई है। अंतरराष्ट्रीय मीडिया समूह ने खबर दी थी कि करीब 300 प्रमाणित भारतीय फोन नंबर हैं, जो पेगासस सॉफ्टवेयर के जरिये जासूसी के संभावित निशाना थे।