जुबिली न्यूज़ डेस्क
राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ हो रहे घमासान के बीच सुप्रीम कोर्ट ने असम सरकार से NRC के स्टेट को-ऑर्डिनेटर हितेश देव सरमा के सांप्रदायिक बयान को लेकर नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने सरमा से भी सफाई मांगी है और असम सरकार को इस मामले की जांच करने को कहा है।
दरअसल बारपेटा के कांग्रेस सांसद अब्दुल खलीक ने हितेश देव को NRC का स्टेट को-ऑर्डिनेटर बनाए जाने के बाद असम के सीएम सर्बानंद सोनोवाल को चिट्ठी लिखी थी। खलीक ने लिखा था कि प्रतीक न तो पूर्वाग्रह से मुक्त हैं और न भरोसेमंद हैं। उन्होंने सरमा के फेसबुक पोस्ट का हवाला दिया था।
बता दें कि, सरमा पर को-ऑर्डिनेटर का पद संभालने से पहले सोशल मीडिया पर सांप्रदायिक बयान जारी करने का आरोप है। सरमा ने अपने फेसबुक पेज पर सिटिजनशिप बिल से जुड़े मुद्दों पर पोस्ट डाले। 13 फरवरी को डाले गए अपने पोस्ट में सरमा ने कहा था कि एनआरसी में लाखों बांग्लादेशियों के नाम हैं। 15 नवंबर (2017) को डाले गए अपने पोस्ट में सरमा ने लिखा था कि पिछले सात दशक से अल्पसंख्यकों के तुष्टिकरण की नीति चल रही है। इसने सेक्यूलरिज्म की परिभाषा ही बदल दी है।
शीर्ष अदालत ने सोमवार को नोटिस जारी कर सर्बानंद सोनोवाल सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है। सोनोवाल सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए एक महीने का वक्त दिया गया है। बता दें कि पिछले साल नवंबर में असम सिविल सेवा अधिकारी हितेश देव सरमा को प्रतीक हजेला की जगह NRC का स्टेट को-ऑर्डिनेटर नियुक्त किया गया था। प्रतीक हजेला ने सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में 31 अगस्त 2019 को एनआरसी की फाइनल लिस्ट जारी की थी।
यह भी पढ़ें : गाँव गली तक पहुँचने के लिए प्रियंका की पाती
यह भी पढ़ें : …तो शरद पवार होंगे देश के अगले राष्ट्रपति !
यह भी पढ़ें : BJP को लगने वाला है एक और झटका, ये है वजह